किसके सामाजिक मूल्य
लेखक - रामशंकर |
जब किसी समाज में बच्चे के
आगमन की किलकारियाँ पूरे समाज रूपी आँगन में गूंजतीं हैं, तो धरा
रूपी माता अपनी प्रसव के उन तमाम कष्टों को भूलकर मन ही मन आनंदित हो जाती है।
लेकिन उसे क्या पता कि यही (लड़का) कल को किसी न किसी रूप (भाई, पति, पिता. . .) में उस पर अपना अधिकार चाहेगा।
तब वह भूल जाता है कि वह उस जननी पर अधिकार की बात करता है, जिसने उसे इस धरती पर जीने के लायक बनाया है।
आज कल तमाम राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में बदलते सामाजिक मूल्यों की बात की जाती है। संगोष्ठी में शिरकत करने वाले तथाकथित
प्रबुद्धजन गिरते सामाजिक मूल्यों की चिंता करते हैं। वे ऐसे सामाजिक मूल्य की बात
करते हैं जो उनके अनुरूप गढ़े समाज के विपरीत न जाते हों। ऐसे सामाजिक मूल्य जहां
लड़की पर ही समाज की इज्जत का दारोमदार केंद्रित हो। ऐसे सामाजिक मूल्य जहां स्त्री
के सम्पूर्ण शरीर का आलिंगन कर लेने वाला पति, स्त्री
के साथ भोजन करने में अपमान महसूस करता है। ऐसे सामाजिक मूल्य जो अपने अनुरूप
स्त्री का विनयभंग करने में तनिक भी संकोच करते हों। यदि इनका यह सामाजिक मूल्य है
तो स्त्री का भी अपना मानवीय मूल्य है । मानवीय मूल्य को दरकिनार कर हमें सामाजिक
मूल्य गढ़ने का अधिकार किसने दिया ? ऐसे में
स्त्री को अपने अधिकारों, अपने पतन के विभिन्न कारणों
तथा उज्जवल भविष्य में स्वयं को तलाशने जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचारशील
अध्ययन के लिए संघर्ष करती दिखाई पड़ती है।
लेखक-परिचय
रामशंकर
जन्म- 12
जुलाई, 1986
शैक्षणिक योग्यता- स्नातक (विज्ञान एवं गणित), स्नातकोत्तर (जनसंचार एवं पत्रकारिता), विद्यानिधि
(एम.फिल.) पत्रकारिता
एवं जनसंचार, जनसंपर्क एवं
विज्ञापन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, विद्यावारिधि (पीएच.डी.) जनसंचार (अध्ययनरत), जनसंचार एवं पत्रकारिता
विषय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (जून, 2014) उत्तीर्ण।
संप्रति- संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में ‘वैकल्पिक मीडिया और भारतीय व्यवस्था परिवर्तन’ विषय पर शोधरत एवं ICSSR डॉक्टोरल फ़ेलो।
प्रकाशित रचनाएँ- विभिन्न
चर्चित शोध जर्नल/पत्रिकाओं (कम्यूनिकेशन
टुडे, अंतिम
जन, प्रौढ़
शिक्षा, शोध नवनीत, मालती, शोध अनुसंधान समाचार आदि) एवं विभिन्न
समाचार पोर्टल्स में शोध-पत्र/आलेख एवं समसामयिक समाचार आलेख प्रकाशित और दो
पुस्तकों में शोध-पत्र तथा एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर की
कार्यशाला एवं सेमिनारों में प्रपत्र-वाचन एवं सहभागिता ।
संपर्क- 36, गोरख
पांडेय छात्रावास, महात्मा
गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
स्थायी पता- भिटरिया, राम सनेही घाट, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश-225409
संपर्क-सूत्र- 9890631370
Email-
ramshankarbarabanki@gmail.com
लेखकीय वक्तव्य- स्थापित
सामाजिक व्यवस्था के विकल्प का अध्ययन एवं लेखन।
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