शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों का एक वैचारिक मंच

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मंगलवार, 22 मार्च 2016

स्त्री-1


खेवनहार  
बनना है मुझे
इस धरा की खेवनहार,
नहीं बनना है मुझे
केवल पतवार।
सदियों से
सहयोगी के रूप में रह
उब चुकी हूँ ।
थक चुकी हूँ
इन शब्दों से कि
तुम ही तो हो,  
गृह लक्ष्मी, स्वामिनी, अन्नदात्री
लेकिन यथार्थ में कुछ भी नहीं है पास,  
न लक्ष्मी है
न संपत्ति
न ही अन्न का एक दाना। 

रामशंकर विद्यार्थी   

शोध की परिभाषा, प्रकार,चरण पर आधारित क्लास नोट्स

शोध : अर्थ एवं परिभाषा  
शोध (Research)
      शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन- विश्‌लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है।
      रैडमैन और मोरी ने अपनी किताब  “दि रोमांस ऑफ रिसर्च” में शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है, कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं।
      एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश के अनुसार- किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच- पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है।
      स्पार और स्वेन्सन ने शोध को परिभाषित करते हुए अपनी पुस्तक में लिखा है कि कोई भी विद्वतापूर्ण शोध ही सत्य के लिए, तथ्यों के लिए, निश्चितताओं के लिए अन्चेषण है। 
      वहीं लुण्डबर्ग ने शोध को परिभाषित करते हुए लिखा है, कि अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है।
शोध के अंग
·       ज्ञान क्षेत्र की किसी समस्या को   सुलझाने की प्रेरणा
·        प्रासंगिक तथ्यों का संकलन
·       . विवेकपूर्ण विश्लेषण और अध्ययन
·       परिणाम स्वरूप निर्णय 
शोध का महत्त्व
      शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भंडार को विकसित एवं परिमार्जित करता है।  
शोधसे व्यावहारिक समस्याओं का समाधान होता है।                                                                 
      शोध से व्यक्तित्व का बौद्धिक विकास होता है                                                                     
      शोध सामाजिक विकास का सहायक है                                                                               
       शोध जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति   (Curiosity Instinct) की संतुष्टि करता है   
      शोध अनेक नवीन कार्य विधियों व उत्पादों को विकसित करता है                                               
      शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है                                                                 
       शोध ज्ञान के विविध पक्षों में गहनता और सूक्ष्मता प्रदान करता है।
शोध करने हेतु प्रयोग की जाने वाली पद्धतियाँ
·       सर्वेक्षण पद्धति (Survey method)
·         आलोचनात्मक पद्धति (Critical Method):
·        समस्यामूलक पद्धति (Problem based method)
·        तुलनात्मक पद्धति (Comparative method)
·       वर्गीय अध्ययण पद्धति (Class based method)
·       क्षेत्रीय अध्ययन पद्धति (Regional method)
·       आगमन(induction)-
·       निगमन (Deduction)  पद्धति
आलोचनात्मक पद्धति (Critical Method)
·       काव्यशास्त्रीय पद्धति  (aesthetic/poetics method)
·       समाजशास्त्रीय पद्धति (Sociological method)
·        भाषावैज्ञानिक पद्धति  (Linguistic method)
·       शैली वैज्ञानिक पद्धति (Stylistic method)
·       मनोवैज्ञानिक पद्धति (Psychological method)
उपयोग के आधार पर
1. विशुद्ध / मूल शोध    (Pure / fundamental Research)
2. प्रायोगिक /प्रयुक्त या क्रियाशील शोध (Applied Research)
काल के आधार पर
·       ऎतिहासिक शोध (Historical Research)
·        वर्णनात्मक / विवरणात्मक शोध  (Descriptive Research)
शोध के कुछ मुख्य प्रकार
1. वर्णनात्मक शोध-  शोधकर्ता का चरों (variables) पर नियंत्रण नहीं होता। सर्वेक्षण पद्धति का प्रयोग होता है। वर्तमान समय का वर्णन होता है। मूल प्रश्न होता है: क्या है?”
2. विश्लेषणात्मक शोध (Analytical Research) – शोधकर्ता का चरों (variables) पर नियंत्रण होता है। शोधकर्ता पहले से उपलब्ध सूचनाओं व तथ्यों का अध्ययन करता है।
3. विशुद्ध / मूल शोध  - इसमें सिद्धांत (Theory) निर्माण होता है जो ज्ञान का विस्तार करता है। गणित तथा मूल विज्ञान के शोध।
4. प्रायोगिक / प्रयुक्त शोध (Applied Research): समस्यामूलक पद्धति का उपयोग होता है। किसी सामाजिक या व्यावहारिक समस्या का समाधान होता है। इसमें विशुद्ध शोध से सहायता ली जाती है।
5. मात्रात्मक शोध (Quantitative Research):  इस शोध में चरों (variables) का संख्या या मात्रा के आधार पर विश्लेषण किया जाता है।
6. गुणात्मक शोध (qualitative Research) :  इस शोध में चरों (variables) का उनके गुणों के आधार पर विश्लेषण  किया जाता है।
7. सैद्धांतिक शोध (Theoretical Research):  सिद्धांत निर्माण और विकास पुस्तकालय शोध या उपलब्ध डाटा के आधार पर किया जाता है।
8. आनुभविक शोध (Empirical Research):   इस शोध के तीन प्रकार हैं
         क) प्रेक्षण (Observation) 
         ख) सहसंबंधात्मक (Correlational)
          ग) प्रयोगात्मक (Experimental)
9. अप्रयोगात्मक शोध (Non-Experimental Research) –वर्णनात्मक शोध  के समान
10.  ऎतिहासिक शोध (Historical Research):  इतिहास को ध्यान में रख कर शोध होता है। मूल प्रश्न होता है: क्या था?”
11.  नैदानिक शोध (Diagnostic / Clinical Research): समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
शोध प्रबंध की रूपरेखा
·       सही शीर्षक का चुनाव विषय वस्तु को ध्यान में रख कर किया जाए।
·       शीर्षक ऎसा हो जिससे शोध निबंध का उद्देश्य अच्छी तरह से स्पष्ट हो रहा हो।
·       शीर्षक न तो अधिक लंबा ना ही अधिक छोटा हो।
·       शीर्षक में निबंध में उपयोग किए गए शब्दों का ही जहाँ तक हो सके उपयोग हॊ।
·       शीर्षक भ्रामक न हो।
·       शीर्षक को रोचक अथवा आकर्षक बनाने का प्रयास होना चाहिए।
·       शीर्षक का चुनाव करते समय शोध प्रश्न को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।


शोध समस्या का निर्माण  चरण
(Formulation of research problem)
 समस्या का सामान्य व व्यापक कथन (Statement of the problem in a general way)
समस्या की प्रकृति को समझना  (Understanding the nature of the problem)
संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण  (Surveying the related literature)
परिचर्चा के द्वारा विचारों का विकास  (Developing the Ideas through discussion)
 शोध समस्या का पुनर्लेखन  (Rephrasing the research problem)
संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण
(Survey of related literature)
संबंधित साहित्य के सर्वेक्षण से तात्पर्य उस अध्ययन से है जो शोध समस्या के चयन के पहले अथवा बाद में उस समस्या पर पूर्व में किए गए शोध कार्यों, विचारों, सिद्धांतों, कार्यविधियों, तकनीक, शोध के दौरान होने वाली समस्याओं आदि के बारे में जानने के लिए किया जाता है।
संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण मुख्यत: दो प्रकार से किया जाता है:
1.    प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण (Preliminary survey of literature)-प्रारंभिक साहित्य सर्वेक्षण शोध कार्य प्रारंभ करने के पहले शोध समस्या के चयन तथा उसे परिभाषित करने के लिए किया जाता है। इस साहित्य सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य यह पता करना होता है कि आगे शोध में कौन-कौन सहायक संसाधन होंगे।  
2.    व्यापक साहित्य सर्वेक्षण (Broad survey of literature)-व्यापक साहित्य सर्वेक्षण शोध प्रक्रिया का एक चरण होता है। इसमें संबंधित साहित्य का व्यापक अध्ययन किया जाता है। संबंधित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण शोध का प्रारूप के निर्माण तथा डाटा/तथ्य संकलन के कार्य के पहले किया जाता


साहित्य सर्वेक्षण के स्रोत
·       पाठ्य पुस्तक और अन्य ग्रंथ
·       शोध पत्र
·       सम्मेलन / सेमिनार में पढ़े गए आलेख
·       शोध प्रबंध (Theses and Dissertations)
·       पत्रिकाएँ एवं समाचार पत्र
·       इंटरनेट
·       ऑडियो-विडियो
·       साक्षात्कार (Interviews)
·       हस्तलेख अथवा अप्रकाशित पांडुलिपि
परिकल्पना Hypothesis
जब शोधकर्ता किसी समस्या का चयन कर लेता है तो वह उसका एक अस्थायी समाधान (Tentative solution) एक जाँचनीय प्रस्ताव (Testable proposition) के रूप में करता है। इस जाँचनीय प्रस्ताव को तकनीकी भाषा में परिकल्पना/प्राक्‍कल्पना कहते हैं। इस तरह परिकल्पना / प्राकल्पना किसी शोध समस्या का एक प्रस्तावित जाँचनीय उत्तर होती है।
किसी घटना की व्याख्या करने वाला कोई सुझाव या अलग-अलग प्रतीत होने वाली बहुत सी घटनाओं को के आपसी सम्बन्ध की व्याख्या करने वाला कोई तर्कपूर्ण सुझाव परिकल्पना (hypothesis) कहलाता है। वैज्ञानिक विधि के नियमानुसार आवश्यक है कि कोई भी परिकल्पना परीक्षणीय होनी चाहिये।
सामान्य व्यवहार में, परिकल्पना का मतलब किसी अस्थायी विचार (provisional idea) से होता है जिसके गुणागुण (merit) अभी सुनिश्चित नहीं हो पाये हों। आमतौर पर वैज्ञानिक परिकल्पनायें गणितीय माडल के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। जो परिकल्पनायें अच्छी तरह परखने के बाद सुस्थापित (well established) हो जातीं हैं, उनको सिद्धान्त कहा जाता है।
परिकल्पना की विशेषताएँ
·       परिकल्पना को जाँचनीय होना चाहिए।  
·       बनाई गई परिकल्पना का तालमेल (harmony) अध्ययन के क्षेत्र की अन्य    परिकल्पनाओं के साथ होना चाहिए।
·       परिकल्पना को मितव्ययी (parsimonious) होना चाहिए ।  
·       परिकल्पना में तार्किक पूर्णता (logical unity) और व्यापकता का गुण होना चाहिए।  
·       परिकल्पना को मितव्ययी (parsimonious) होना चाहिए।  
·       परिकल्पना को अध्ययन क्षेत्र के मौजूदा सिद्धांतों एवं तथ्यों से संबंधित होना चाहिए ।
·       परिकल्पना को संप्रत्यात्मक (conceptual) रूप से स्पष्ट होना चाहिए।
·       परिकल्पना को अध्ययन क्षेत्र के मौजूदा सिद्धांतों एवं तथ्यों से संबंधित होना चाहिए
·       परिकल्पना से अधिक से अधिक अनुमिति (deductions) किया जाना संभव होना चाहिए तथा उसका स्वरूप न तो बहुत अधिक सामान्य होना चाहिए (general) और न ही बहुत अधिक विशिष्ट (specific)
·       परिकल्पना को संप्रत्यात्मक (conceptual) रूप से स्पष्ट होना चाहिए: इसका अर्थ यह है कि परिकल्पना में इस्तेमाल किए गए संप्रत्यय /अवधारणाएँ (concepts) वस्तुनिष्ठ (objective) ढंग से परिभाषित होनी चाहिए।
परिकल्पना निर्माण के स्रोत
       i.            व्यक्तिगत अनुभव
     ii.            पहले किए शोध के परिणाम
  iii.            पुस्तकें, शोध पत्रिकाएँ, शोध सार आदि
   iv.            उपलब्ध सिद्धांत
     v.            निपुण विद्वानों के निर्देशन में

शोध प्रक्रिया के प्रमुख चरण
1.    अनुसंधान समस्या का निर्माण
2.    संबंधित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण
3.    परिकल्पना/प्राकल्पना (Hypothesis) का निर्माण
4.    शोध की रूपरेखा/शोध प्रारूप (Research Design) तैयार करना
5.    आँकड़ों का संकलन / तथ्यों का संग्रह
6.    आँकड़ो / तथ्यों का विश्‍लेषण
7.    प्राकल्पना की जाँच
8.    सामान्यीकरण एवं व्याख्या
9.    शोध प्रतिवेदन तैयार करना



-रामशंकर विद्यार्थी




Marketing Research: an introduction

Marketing Research: an introduction

The type of marketing research businesses conduct depends on the problem that they are trying to solve. Some of the most significant areas of research are:
·         attitude research
·         market research
·         media research
·         product research
Attitude research, also known as opinion research, is research designed to obtain information on how people feel about certain products, ideas, or companies.
Example: The Gallup Organization conducts opinion research polls on politics, elections, business and the economy, social issues, and public policy.
Market research involves the systematic gathering, recording, analyzing, and presentation of information related to marketing goods and services. It uses market analysis—the study of particular consumer and industrial markets—to obtain data about the size, location, and make-up of the market for a product.
Sales forecasting is an effort to estimate the future sales of a product.
Economic forecasting is an attempt to predict future economic conditions. Most businesses rely on government data to predict economic conditions and to adjust their business activities depending on the economic outlook.
Media research focuses on issues of media selection and frequency. It measures the effectiveness of the advertising message and media placement. Media research is done on:
·         print media
·         broadcast media
·         online media
Researching Print AdvertisementsThe effectiveness of a printed advertising message can be tested on its recall, communication, and persuasive abilities.
Several different techniques are used, including:
·         reader surveys
·         consumer panels
·         TV Ratings
Researching Online Advertising - As online advertising increases in popularity, researchers have developed marketing research techniques for online copy testing. Techniques include:
·         using a mock environment similar to traditional copy testing
·         live testing in an interactive environment
·         tracking ad recall and copy effectiveness
·         evaluating Web site elements that attract users
Product research centers on evaluating product design, package design, product usage, and consumer acceptance of new and existing products.
Existing Product ResearchSatisfaction questionnaires and interviews gather information about existing products and services.
·         Industrial satisfaction surveys focus upon products and services utilized by business and manufacturing firms.
·         Customer satisfaction surveys provide data for businesses regarding retail customer attitudes toward existing products and services.
Trends in Marketing ResearchThe nature and scope of marketing research are rapidly changing to keep pace with a changing marketplace. In the face of global competition, research that measures product quality and consumer satisfaction is the fastest growing form of marketing research.
Limitations of Marketing ResearchMarketing research information is used to help businesses make sound business decisions, however it is limited by the following factors:
·         the company's budget
·         time
·         quickly changing customer preferences