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मंगलवार, 20 मार्च 2018

गांधी की विकास परिकल्पना और पत्रकारिता की भूमिका


गांधी की विकास परिकल्पना और पत्रकारिता की भूमिका 

महात्मा गांधी जी ने कई दशकों तक पत्रकार के रूप में कार्य किया, कई समाचारपत्रों का संपादन किया। उस समय में जब भारत में पत्रकारिता अपने शैशव काल में थी, उन्होंने पत्रकारिता की नैतिक अवधारणा प्रस्तुत की। महात्मा गांधी ने जिन समाचार पत्रों का प्रकाशन अथवा संपादन किया वे पत्र अपने समय में सर्वाधिक लोकप्रिय पत्रों में माने गए। महात्मा गांधी एक पत्रकारीय चेतना के उज्ज्वल प्रतिमान के रूप में हैं जिन्होंने अपनी सरोकारीय चेतना से जनमानस को लाभान्वित किया ।
यह एक संपूर्ण जनतंत्र होगा, जो अपनी जीवन संबंधी आवश्यकताओं के लिए पड़ोसियों पर निर्भर नहीं होगा, फिर भी अन्य अनेक आवश्यकताओं के लिए, जिनमें दूसरे की निर्भरता अनिवार्य है, अन्योनाश्रित रहेगा। इस प्रकार प्रत्येक गांव का सबसे पहला काम होगा, खुद अनाज पैदा करना और कपड़े के लिए कपास पैदा करना। उसमें गोचर-भूमि होगी और प्रौढ़ों-बच्चों के मनोरंजन के लिए साधन और खेलकूद का मैदान होगा। गांव में नाटकघर, पाठशाला और सार्वजनिक भवन की व्यवस्था होगी। बुनियादी पाठ्यक्रम तक शिक्षा अनिवार्य होगी। प्रत्येक गांव के घर में बिजली की व्यवस्था होगी। जहां तक संभव हो प्रत्येक प्रवृति सहकारिता के आधार पर चलाई जाएगी।
 26 जुलाई 1942, हरिजन
गांधीजी भारत के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चरित्र से पूरी तरह परिचित थे, इसलिए उन्होंने भारत के विकास के लिए एक परिकल्पना गढ़ी थी, जो ग्राम स्वराज पर आधारित थी। उन्हें इसका पूरा ज्ञान था कि जिस देश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है और जिसके जीविकोपार्जन का आधार कृषि और लघु-कुटीर उद्योग है, उसकी अनदेखी कर भारत का विकास नहीं किया जा सकता। एक व्यावहारिक आदर्शवादी होने के नाते उन्होंने विकास परिकल्पना की नींव अपने प्रारंभिक जीवनकाल में ही रखनी शुरू कर दी थी। तत्कालीन समाज में अस्पृश्यता, जातिभेद, पूंजी का केंद्रीकरण, दबे-कुचलों का शोषण चरम पर था। इसके खिलाफ उन्होंने अभियान छेड़ दिया। उनका मानना था कि भारत के वैकासिक ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए लोकतांत्रिक सहभागिता जरूरी है। एक-एक गांव के सम्मिलित प्रयास से ही संपूर्ण भारत का विकास हो सकेगा। लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने यंग इंडिया, नवजीवन, इंडियन ओपीनियन और हरिजन समाचारपत्रों का सहारा लिया। गांधीजी का वैकासिक ढांचा भारत की एक छोटी इकाई गांव से शुरू होता है। उनका मानना था कि प्रत्येक गांव में ऐसे संसाधन अवश्य मौजूद हैं, जिनसे गांव की वैकासिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। गांव में ही हर हाथ को काम मिल सके। इसी से आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। लोगों का टूटा हुआ मनोबल (औपनिवेशिक व्यवस्था में कृषि, लघु-कुटीर उद्योगों के ध्वस्त होने से) ऊंचा होगा।
<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygooglegगांधी र्गांधी जी दूरदर्शी थे, उन्हें इस बात का भान था कि भारत की श्रम शक्ति ही सबसे बड़ी पूंजी होगी, इसलिए सामाजिक-आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए श्रम शक्ति का उपयोग महत्वपूर्ण मानते थे। इसके बाद उन्होंने देश की ध्वस्त लघु-कुटीर उद्योगों को खादी ग्रामोद्योग के माध्यम से पुनर्जीवित करना शुरू किया। स्वदेशी चीजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खादी के लिए आंदोलन छेड़ा गया। स्त्रियों के हाथों तक सीमित रहने वाला चरखा पुरुषों के हाथों में भी आ गया। यहां यह बता देना जरूरी है कि दो सौ वर्ष पहले भारत से सुदूर देशों में 30 लाख रुपये का कपड़ा निर्यात किया जाता था। ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आगमन के बाद मिलों का चलन शुरू हुआ। लोग मिलों का बना कपड़ा पहनने लगे। स्थिति यह हो गई कि ब्रिटेन में बने कुल कपड़े का एक चौथाई 60 करोड़ रुपये का विलायती कपड़ा भारत में आयात होने लगा। देश से हथकरघे और चरखे का शिल्प नष्ट हो गया। 1925 में गांधीजी ने अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना की। थोड़े ही दिनों में देश में 50 लाख चरखे चलने लगे।
चरखे की  सफलता पर गांधीजी ने कहा कि मेरी जानकारी में ऐसा कोई यंत्र नहीं है जो इस छोटे से घरेलू यंत्र का मुकाबला कर सके। ऐसी कोई संस्था नहीं, जिसने चरखा संघ की तरह थोड़ी सी पूंजी लगाकर 18 वर्ष में लाखों गरीब स्त्री-पुरुषों के हाथों में चार करोड़ रुपये की मजदूरी दी हो।
गांधीजी ने अपने जीवनकाल में ही विकास परिकल्पना की नींव रख दी थी, बस जरूरत थी ऐसे नेतृत्वकर्ता की जो उनकी परिकल्पना को दिशा देता, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा न हो सका। इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय व्यवस्था में कई विकार उत्पन्न हो गए। आजादी के 59 वर्षो बाद भी बेकारी, गरीबी और भुखमरी से भारत मुक्त नहीं हो पाया है।भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनाई गईं, लेकिन अर्थव्यवस्था का मेरुदंड होने के बाद भी कृषि, लघु-कुटीर उद्योग की उपेक्षा की गई। प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में कृषि को प्राथमिक क्षेत्र में रखने के बजाए पहली, चौथी और छठी योजनाओं में प्राथमिकता दी गई। परिणामस्वरूप कृषि विकास दर में उतरोत्तर कमी आती चली गई। भारी उद्योगों को बढ़ावा, विदेशी पूंजी निवेश से शहरी भारत का विकास तो हुआ, लेकिन ग्रामीण भारत लगातार पिछड़ता चला गया।
मौजूदा वैकासिक ढांचे ने भारत को दो धड़ों में बांट दिया है। एक विलासितापूर्ण, असंयमित जीवन का शहरी ढांचा और दूसरा उपेक्षित ग्रामीण ढांचा। शहर-गांव के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। पूंजी का केंद्रीकरण होने से अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। लाखों की संख्या में ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन हो रहा है। शहर में शोषण का शिकार होने से सामाजिक-आर्थिक असंतोष बढ़ रहा है।यहां दो बातें महत्वपूर्ण हैं। पहला यह कि न तो गांधी की विकास परिकल्पना को दिशा देने वाला कोई नेतृत्वकर्ता मिला और न ही जनसंचार माध्यमों (प्रिंट, रेडियो, टेलीविजन) ने उनकी परिकल्पना को तरजीह दी। मौजूदा व्यवस्था में जनसंचार माध्यमों के विकास के बाद भी उनकी परिकल्पना धरी की धरी रह गई।


सोमवार, 19 मार्च 2018

दुग्ध व्यवसाय : गरीबी उन्मूलन का सशक्त साधन




दुग्ध व्यवसायः गरीबी उन्मूलन का एक सशक्त साधन
डॉ. रामशंकर
(माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता
एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के नोएडा परिसर



भारत में दुग्ध उत्पादन की एक स्वस्थ परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। भारतीय संस्कृति में दूध से बने उत्पाद इस प्रकार रचे-बसे है, जैसे मनुष्य का उसके जीवन से नाता है। दूध और दही से बनने वाले खाद्य पदार्थाे का उपभोग हमारे दैनिक खानपान का एक हिस्सा बनकर हमारी आदतों में शुमार हो गया है। रोजगार उत्पन्न करने से लेकर आमदनी बढ़ाने तक दोनों ही स्तर से पशुपालन के व्यापक क्षेत्र में दुग्ध व्यवसाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के भारत बहुत ही तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर हुआ। हमारे विकास के पैमाने में दुग्ध उत्पादन व्यवसाय भी शामिल रहा है। ग्रामीण भारत के विभिन्न सामाजिक और आर्थिक विकास पर इस सहकारी दुग्ध संघों का व्यापक प्रभाव रहा है। वर्तमान में दुग्ध उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा भारत में उत्पादित होता है। वर्ष 2012 के आकड़ों के अनुसार भारत में 11करोड़ 15 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन भारत में होता है। 

लगभग 40 के दशक के आसपास दुग्ध का उत्पादन तथा दुग्ध उत्पादों का उत्पादन आमतौर पर असंगठित क्षेत्र के हाथ में था। दूध की गुणवत्ता (क्वालिटी) और मात्रा (क्वांटिटी) बढ़ाने पर खास ज़ोर नहीं दिया जाता था। न केवल शहरों में स्थित दुग्ध उत्पादन केन्द्रों या गाय भैंस के तबेलों से ही शहरों में गंदगी फैलती थी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पशुधन की स्थिति भी बड़ी खराब हो रही थी। दूध खरीदने वाले उपभोक्ताओं के सामने भी घटिया गुणवत्ता का दुग्ध और दुग्ध उत्पाद खरीदने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। खराब गुणवत्ता का दुग्ध या दुग्ध जनित पदार्थ सेवन करने अनेक बीमारियाँ पैदा हो जाया करती थी। किसानों के लिए दुग्ध व्यवसाय घाटे का सौदा हो गया था । बीमारियों की वजह से कभी-कभी जानवरों की अकाल मृत्यु हो जाया करती थी और बिचैलिये और ठेकेदार भी उनका शोषण करते थे। किसानों को उनके दूध की कम से कम कीमत मिलती थी और बीच में ठेकेदार अपनी खूब जेबें भर रहे थे। ऐसे में सदियों से चली आ रही दुग्ध उत्पादन की हमारी समृद्ध परंपरा बड़ी तेजी से बिगड़ती जा रही थी और डेयरी में आत्मनिर्भरता हमसे कोसों दूर थी। वर्ष 1950 के आसपास भारत में कुल उत्पादन 170 लाख मीट्रिक टन ही हो पाता था और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए हमें न्यूजीलैंड और यूरोप से मिल्क पाउडर के आयात पर निर्भर रहना पड़ता था और आयात के नाम पर करोड़ों डालर खर्च करना पड़ता था।
भारत में दुग्ध व्यवसाय को कृषि के सहायक व्यवसाय के रूप में देखा जाता है। खेती किसानी से बचे कचरे, घास-फूस के इस्तेमाल और परिवार के लोगों के श्रम के जरिये ही इस व्यवसाय की साज-संभाल होती है। देश के करीब 7 करोड़ ग्रामीण परिवार दुग्ध व्यवसाय में लगे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 70 प्रतिशत मवेशी छोटे, मझौले और सीमान्त किसानों के पास हैं, जिसकी पारिवारिक आमदनी का बहुत बड़ा हिस्सा दूध बेचने से प्राप्त होता है। तब से लेकर अब तक दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आया है, इसका पूरा का पूरा श्रेय डेयरी क्षेत्र को जाता है। डेयरी क्षेत्र में ग्रामीण दुग्ध सहकारी संघों के प्रादुर्भाव ने ग्रामीण इलाकों की काया पलट कर दी है। दुग्ध सहकारी संघों की शुरुआत स्वतंत्रता के समय से मानी जाती है। इसकी शुरुआत गुजरात के खेड़ा जिले से हुई। वर्ष 1945 में किसानों ने ठेकेदारों के खिलाफ आर्थिक शोषण पर आवाज उठाई जो अंग्रेजों के नाम पर दूध इकट्ठा कर रहे थे। 

तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार ने दूध इकट्ठा करने का एकाधिकार पोल्सन नाम की कंपनी को दे दिया था। कंपनी ठेकेदारों के माध्यम से दूध इकट्ठा करवाती थी, जो सबसे कम दाम पर किसानो का दूध छीन रहे थे। उस दौरान सरदार बल्लभ भाई पटेल ने किसानों को अपना सहकारी संघ बनाने की सलाह दी। उन्होने बताया कि जब डेयरी व्यवसाय पर पूरा-पूरा नियंत्रण उनका होगा, तब जाकर मुनाफा मिलेगा। किसानों का केवल दुग्ध उत्पादन पर ही बल्कि दूध इकट्ठा करने, परिष्कृत करने तथा उसको बेचने पर पूरी तरह से नियंत्रण होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो उन्होंने किसानों को पूरी तरह बिचैलियों से मुक्त कर सहकारी संगठन बनाने का पूरा प्रयास किया।
हड़ताल कामयाब रही और दूध इकट्ठा करने पर लगा एकाधिकारी नियंत्रण लगभग समाप्त सा हो गया। औपनिवेशिक सरकार ने किसानों को सहकारी संगठन बनाने के लिए इजाजत दे दी। ग्राम स्तर की दो छोटी-छोटी संस्थाओं तथा प्रतिदिन 247 लीटर से शुरू यह सहकारी संगठन निरंतर उत्तरोत्तर बढ़ता गया, अब यह संगठन लगभग 1 अरब लीटर के प्रतिदिन के दुग्ध व्यवसाय में बदल सा गया है। यही है खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादन संघ की उत्पत्ति। आज यह संघ आमूल के नाम से प्रसिद्ध है। इसके पश्चात भारत में अनेक दुग्ध संघो के निर्माण ने करोड़ो भारतवासियों की सामाजिक व आर्थिक क्रांति कर जिंदगियाँ बदल दी। दुग्ध सहकारी संघों का एक विवरण निम्नलिखित है –
o   भारत में दुग्ध सहकारी संघों लगभग सवा करोड़ किसान परिवारों की जिंदगियाँ जुड़ी है । अकेले गुजरात में लगभग 23 लाख लोग आमूल परिवार के अभिन्न अंग हैं। दुग्ध उत्पादन अब आजीविका का एक साधन बन गया है जिससे ग्रामीण भारत के आर्थिक विकास में मदद मिल रही है।
o   भारत के लगभग एक लाख गांवों में दुग्ध उत्पादन संघ कार्यरत हैं, जिससे किसानों कि आमदनी बढ़ी है और वे समृद्ध हो रहे हैं। देश में लगभग 200 जिलों में ग्राम स्तरीय दुग्ध उत्पादक संघ बना लिए हैं। ये संघ, ग्राम स्तरीय संघ से दूध लेकर स्वयं मूल्यवर्धक बनाने तथा प्रसंस्करण का काम करते हैं।
सरकार दुग्ध उद्योग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनायें चला रही है। दुग्ध व्यवसाय की प्रगति हेतु सरकार सक्रिय सहयोग दे रही है। इसकी शुरुआत 1970 में शुरू किए गए आपरेशन्स फ्लडयोजना के अन्तर्गत आई श्वेत क्रान्ति से हुई। इस योजना ने सहकारी क्षेत्र में दुग्ध व्यवसाय को अपना कर किसानों को अपने विकास का मार्ग प्रशस्त करने में और एक राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड के जरिये देश के 700 से अधिक शहरों और कस्बों में उपभोक्ताओं तक दूध पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने ग्रामीण स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले दूध के उत्पादन के लिए गुणवत्ता संरचना सुदृढीक़रण एवं स्वच्छ दूध उत्पादन नाम से एक नई केन्द्र प्रायोजित योजना शुरू की।
इसका उद्देश्य दूध दुहने की सही तकनीक के बारे में किसानों को प्रशिक्षण देकर, उन्हें डिटर्जेंट, स्टेनलेस स्टील के बर्तन आदि देकर, मौजूदा प्रयोगशालाओं- सुविधाओं के सुदृढीक़रण, मिलावट की जांच किट, कीटनाशक दवाएं आदि उपलब्ध कराकर ग्रामीण स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे दूध का उत्पादन बढ़ाना है, ताकि स्वच्छ दूध का संग्रहण सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा, इस योजना के तहत गांवों में ही बड़े पैमाने पर दूध ठंडा करने वाली सुविधायें भी मुहैया कराई गईं। आरंभ होने से अब तक (जुलाई 2009), 21 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में 1 अरब 95 करोड़ 17 लाख रुपए के खर्च से 131 परियोजनायें मंजूर की जा चुकी हैं, जिनमें से केन्द्र का अंश 2 अरब 51 करोड़ 38 लाख रुपए का रहा। योजनान्तर्गत 21 लाख 5 हजार क्षमता के कुल 1362 बृहद दुग्ध प्रशीतक (बल्क मिल्क कूलर्स) लगाए गए हैं। इस योजना के फलस्वरूप कच्चे दूध के शेल्फ लाइफ (घर में दूध को रखना) में वृध्दि हुई है। इससे दूध की पड़ोस के प्रशीतक केन्द्र पर कम खर्च में भेजा जा सकता है। दूध की बरबादी में कमी आई है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है।
 डेयरी उद्यमिता विकास योजना
डेयरी क्षेत्र में निजी निवेश को बढावा देने के लिए डेयरी उद्यमिता विकास य़ोजना (डीईडीएस) 1 सिंतबर 2010 को शुरू की गई। इस योजना का उद्देश्य स्वरोजगार के अवसर बढाकर गरीबी कम करने के साथ देश में निवेश बढाकर दूध का उत्पादन बढ़ाना था। नाबार्ड के माध्यम से लागू होने वाली इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता व्यावसायिक, सहकारी, शहरी और ग्रामीण बैंकों के माध्यम से सामान्य श्रेणी के आवेदकों को 25 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी और अनुसूचित जाति और जनजाति के लाभार्थियों को 33 प्रतिशत की सहायता केंद्रीय सहायता के तौर पर प्रदान की जाती है। इस योजना का लाभ किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, संगठित और असंगठित क्षेत्र के समूह इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के योग्य हैं।
अपनी शुरूआत के बाद से ही नाबार्ड ने 31 दिंसबर 2012 तक 62,046 डेयरियों को स्थापित करने के लिए 251.20 करोड़ रूपए की राशि वितरित की है। इसके अलावा इस योजना को लागू करने के लिए वर्ष 2012-13 के दौरान सरकार ने  140 करोड़ रूपए जारी किए हैं, जिसमें से 31 दिसंबर 2012 तक नाबार्ड ने 32,749 डेयरी स्थापित करने के  लिए 127.13 करोड़ रूपए जारी किए हैं।  
सहकारी संस्थाओं को सहायता
वर्ष 1999-2000 के दौरान जिला स्तरर पर रुग्ण् डेयरी सहकारी मिल्क यूनियन तथा राज्य स्तर पर मिल्क फेडरेशनों के पुनरुत्थान के उद्देश्य से योजना की शुरुआत की गई थी। योजना को सरकार तथा संबंधित राज्य सरकार के बीच 5050 हिस्सेदारी के आधार पर राष्ट्रीय डेयरी टेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीपी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है। संबंधित राज्य मिल्क फेडरेशन/जिला मिल्क यूनियन से परामर्श करते हुए पुनरुत्थान योजना को राष्ट्रीय डेयरी टेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीपी) ने तैयार किया है। प्रत्येक पुनरुत्थान योजना को इस ढ़ंग से तैयार किया गया है कि इनके अनुमोदन की तारीख से सात वर्ष की अवधि के भीतर रुग्ण सहकारी संस्था सकारात्मक ढ़ंग से कार्य करने लगेगी।
इसके आरंभ से, 31 दिसंबर 2012 तक विभाग ने मध्य प्रदेश, छत्तीेसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, असम, नागालैंड, पंजाब, पं. बंगाल और तमिलनाडु राज्यों में रुग्ण मिल्क यूनियनों के लिए 42 पुनरुत्थान परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी है। इसके लिए 310.91 करोड़ रुपये की कुल लागत निर्धारित की गई है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 155.64 करोड़ रुपये का है। 31 दिसंबर 2012 तक रुग्ण सहकारी मिल्क यूनियनों को केंद्र के हिस्से का 120.64 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं।
राष्ट्रीय डेयरी योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के रूप मे दो नए प्रयास शुरू किए गए हैं। राष्ट्रीय डेयरी योजना - वैश्वीकरण और बढ़ती क्रय शक्ति के कारण दूध और दूध से बने उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थाे की मांग में वृद्धि हो रही है। भावी मांग को देखते हुए सरकार 2021-22 तक प्रति वर्ष 18 करोड़ टन दूध उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 17,300 करोड़ रुपए के परिव्यय से राष्ट्रीय डेयरी योजना शुरू करने के बारे में विचार कर रही है। अगले 15 वर्षों में दूध उत्पादन 4 प्रतिशत की दर से बढने और कुल दूध उत्पादन में 50 लाख टन की वृध्दि होने का अनुमान है। इस योजना के तहत सरकार प्रमुख दुग्ध उत्पादक क्षेत्रों में दूध का उत्पादन बढाना चाहती है। मौजूदा और नई संस्थागत संरचनाओं के माध्यम से सरकार दूध के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन ढांचे को सुदृढ और विस्तारित करना चाहती है। योजना में प्राकृतिक और कृत्रिम गर्भाधान के जरिए नस्ल सुधार, प्रोटीन और खनिज युक्त मवेशियों का आहार उत्पादन बढाने के लिए संयंत्रों की स्थापना का प्रावधान किया गया है। योजना में मौजूदा 30 प्रतिशत के स्थान पर अतिरिक्त दूध का 65 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में खरीदी करने का प्रस्ताव है। इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से सहायता
 प्राप्त करने की योजना है।




इसके अतिरिक्त कृषि और संबद्ध क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 11वीं योजना के दौरान 25,000 करोड़ रुपए के भारी निवेश से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना नाम से एक नई योजना शुरू की है। उन सभी गतिविधियों को जो एएचडी एंड एफ (पशुधन विकास, डेयरी एवं मत्स्यपालन) क्षेत्रों के विकास को आगे बढाने का कार्य करती हैं, उन्हें राज्य योजना के तहत 100 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। बशर्ते राज्य सरकार ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए बजट में आवश्यक आबंटन किया गया हो। आशा है कि इससे इस क्षेत्र में ज्यादा लोगों की भागदारी होगी और 11वीं योजना में एएचडी एंड एफ क्षेत्र के लिए कुल मिलाकर 6-7 प्रतिशत वार्षिक का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिसमें डेयरी क्षेत्र का योगदान 5 प्रतिशत और मांस क्षेत्र का योगदान 10 प्रतिशत रहने की आशा है। इन सभी गतिविधियों के फलस्वरूप भारत विश्व परिदृश्य में डेयरी व्यवसाय में रोजगार की दृष्टिकोण से एक बड़ा क्षेत्र बनकर उभर रहा है।

निष्कर्ष-
भारतीय डेयरी क्षेत्र ने 9वीं योजना के बाद से शानदार वृद्धि दर्ज की है, जिसके परिणाम स्वरूप प्रतिवर्ष 130 मिलियन टन के करीब वार्षिक उत्पादन करते हुए देश अब दुनिया के दुग्ध उत्पादन करने वाले देशों में पहले स्थान पर पहुंच गया है। यह हमारी बढ़ती हुई जनसंख्या  के लिए दूध की उपलब्धता और दुग्ध  उत्पादों में दीर्घकालीन वृद्धि को दर्शाता है। दुग्ध शाला लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए आय का एक प्रमुख द्वितीयक साधन बन गया है और खासतौर पर कमजोर तबके के लोगों और महिला किसानों के लिए रोजगार और आय सृजन के अवसर प्रदान करने में सर्वाधिक महत्वगपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2012 तक प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 290 ग्राम प्रतिदिन के स्तर तक पहुंच गयी है, जो 284 ग्राम प्रतिदिन के अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक है। देश में अधिकांश दूध का उत्पादन छोटे, कमजोर तबके के किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के द्वारा किया जाता है। मार्च 2012 तक करीब 14.78 मिलियन किसानों को 1,48,965 ग्राम स्तवर की डेयरी सहकारी समितियों के दायरे में लाया जा चुका है। कुल पशुधन के करीब 87.7 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व 4 हेक्टेयर से कम की भूमि वाले गरीब तबके के किसानों, लघु और उपमध्यम संचालकों द्वारा किया जाता है। दुनिया के सर्वाधिक पशुधन की संख्या  भारत में है। यह दुनियाभर में भैंसों की जनसंख्या का करीब 57.3 प्रतिशत और पशु जनसंख्या का 14.7 प्रतिशत है।
देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक-आर्थिक विकास में पशुपालन और डेयरी एक महत्वपूर्ण  भूमिका निभाता है। दरअसल आज के दौर में ग्रामीण रोजगार की दृष्टिकोण से दुग्ध व्यवसाय एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभर कर सामने आ रहा है । कम से कम ये उद्योग ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी में तो लाभकारी सिद्ध ही हो रहा है । देशभर में लगभग 110 लाख पुरुष खेती किसानी पर निर्भर हैं। पुरुष खेतों में मेहनत करते हैं, तो महिलायें घर पर गाय भैंस की देखभाल करती है। परिवार की कुल आमदनी में महिलाएं डेयरी से होने वाली आमदनी के रूप में अपना निदान करती है।   

इन गतिविधियों से ग्रामीण क्षेत्रों खासतौर पर भूमिहीन, छोटे, गरीब तबके के किसानों और महिलाओं के लिए न सिर्फ लाभदायक रोजगार का सृजन होता है बल्कि उन्हें सस्ता और पौष्टिक अन्न मिलता है। पशुधन सूखे और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय किसानों के लिए सर्वश्रेष्ठ बीमा के तौर पर काम करता है। दुधारु पशुओं की उत्पादकता का बढ़ाने के लिए सरकार ने कई उपाय अपनाए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप दूध के उत्पादन में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि हो रही है। सहकारी संस्थाओं को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लायक के साथ साथ सरकार को यह भी देखना होगा सहकारी संस्थाओं का असली पक्ष किसान के हाथ में रहे तभी ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक बदलाव में दुग्ध व्यवसाय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।   

शनिवार, 17 मार्च 2018

100 से अधिक रोचक प्रश्न



100 से अधिक रोचक प्रश्न
डॉ. रामशंकर विद्यार्थी
                                                                                                     
                                                                                                          
विषय वर्गीकरण
      इतिहास
1.    गांधीजी के दांडी मार्च से किस आंदोलन की शुरुवात हुईसविनय अवज्ञा आंदोलन
2.    मौर्य वंश की स्थापना किसने की थी- चन्द्रगुप्त मौर्य
3.    सारनाथ स्तूप का निर्माण किसने करवाया था- अशोक  
4.    महात्मा बुद्ध किस गणराज्य से थे- शाक्य
5.    मेघदूत के रचयिता के रचयिता कौन हैं- कालिदास
6.    हरिजन के संपादक कौन थे-महात्मा गांधी  
7.    शिवाजी का राज्याभिषेक का हुआ था- जून 1674 
8.    अंग्रेजों के विरुद्ध नौजवान भारत सभा की स्थापना किसने की थीभगत सिंह
9.    अशोक के शिलालेखों को पढ़ने वाला प्रथम अंग्रेज़ कौन था?- जेम्स प्रिंसेप
10.           कांग्रेस के कराची अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थीजिसमे मौलिक अधिकार और new economic policy का प्रस्ताव पारित हुआ था-सरदार पटेल
11.           राजतरंगिणी के रचनाकार कौन थे- कल्हण
12.           किस स्वतन्त्रता संग्रामी व्यक्ति को ‘बिना ताज का बादशाह’ कहा जाता है?- सुरेन्द्र नाथ बनर्जी
13.           शून्य की खोज किसने की थी- आर्यभट्ट प्रथम  
14.           रामायण में उल्लेखित 'पंचवटीकिस नदी के तट पर स्थित थी?- गोदावरी
15.           ताँबे से बनी हुई एक इक्का गाड़ी कहाँ से प्राप्त हुई है?- हड़प्पा से
16.           'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेसके प्रथम अध्यक्ष कौन थे?- लाला लाजपत राय
17.           पानीपत का तृतीय युद्ध किस वर्ष हुआ- 1761
18.           हल्दी घाटी का युद्ध किस-किस के बीच हुआ- महारणा प्रताप-अकबर
·       संविधान
1.    संविधान के किस अनुच्छेद के तहत छुआछूत को समाप्त किए जाने का प्रावधान है- अनुच्छेद 17
2.    भारतीय संविधान में आपात संबंधी उपबंध कहाँ से लिया गया है। - जर्मनी के वीमर से 
3.    भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया-1972
4.    राज्यसभा के लिए नामित प्रथम फ़िल्म अभिनेत्री कौन थीं?- नरगिस दत्त
5.    किसी क्षेत्र को ‘अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्र’ घोषित करने का अधिकार किसे है?-राष्ट्रपति
6.    लोकसभा का प्रथम सत्र कब आयोजित हुआ ?- लोकसभा का प्रथम सत्र 13 मई 1952 को आरंभ हुआ।
7.    73वाँ संविधान संशोधन सम्बन्धित है- पंचायतीराज व्यवस्था से
8.    भारत के नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति का उल्लेख किस अनुच्छेद में है? – अनुच्छेद 148
9.    भारतीय नागरिकों को प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण किस अनुच्छेद द्वारा प्रदान किया गया है-अनुच्छेद 21
10.           लोकसभा का प्रथम अध्यक्ष कौन था- श्री जी. वी. मावलंकर लोकसभा के प्रथम अध्‍यक्ष थे (15 मई 1952 – 27 फरवरी 1956)
11.           प्रेस परिषद के वर्तमान अध्यक्ष- चन्द्रमौलि कुमार प्रसाद
12.           कोई बिल  money बिल है या नहीं यह कौन निर्धारित करता हैस्पीकर
13.           संविधान सभा के झंडा समिति के कौन अध्यक्ष थे? – जे. बी. कृपलानी
14.           राष्ट्रपति किस अनुच्छेद के अंतर्गत लोकसभा भंग कर सकता है? – अनुच्छेद 85 के अंतर्गत
15.           भारत का वह राष्ट्रपति कौन थाजो पूर्व में लोकसभा अध्यक्ष भी थे? – नीलम संजीव रेड्डी
16.           संविधान सभा की प्रथम बैठक कब हुई थी?-  9 दिसम्बर, 1946
17. लोकसभा (हाउस ऑफ पीपल) का सर्वप्रथम गठन कब हुआ था ?- 25 अक्‍तूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक पहले आम चुनावों के पश्‍चात 17 अप्रैल 1952 को सर्वप्रथम लोक सभा का गठन हुआ था।

·       मीडिया
1.    प्रिंट में खेल पत्रकारिता श्रेणी में राम नाथ गोयनका अवार्ड किसे दिया गया- क़ैसर मोहम्मद अली आउटलुक समूह  
2.    प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्ता कौन हैं?— जी. शंकर कुरूप को 1965 में
3.    हिन्दी  पत्रकारिता दिवस कब मनाया जाता है- 30 मई
4.    दिव्य भास्कर समाचार पत्र किस भाषा में प्रकाशित होता है- गुजराती
5.    पयामे आज़ादी कब और किसने निकाला- अजीमुल्ला खां8 फरवरी 1857
6.    People’s Daily किस देश का समाचार पत्र है- चीन
7.    RNI की स्थापना कब हुई- 1 जुलाई 1856
8.    Audit bureau of circulation की स्थापना कब हुई 1948
9.    जागरण समूह के वर्तमान सीईओ कौन हैं-संजय गुप्ता
10.           दैनिक जागरण की शुरुआत कब हुई- 1942
11.           महिलाओं द्वारा निकाला जाने वाला अखबार ‘खबर लहरिया’ की संपादक का नाम- मीरा जाटव
12.           PIB के नए प्रमुख का नाम- सितांशु कार
13.           सामना समाचार पत्र के वर्तमान संपादक कौन हैं- संजय राउत
14.           किस राष्ट्रपति ने सर्च लाइट समाचार पत्र का प्रकाशन किया - राजेंद्र प्रसाद
15.           भारत में संस्कृत भाषा का एक मात्र दैनिक समाचार पत्र ‘सुधर्मा’ किस जिले से प्रकाशित होता है- मैसूर (कर्नाटक)
16.           साप्ताहिक ऑर्गनाइज़र पत्रिका के वर्तमान संपादक का नाम- प्रफुल्ल केतकर
17.           एनडीटीवी का पूरा- न्यू दिल्ली टेलीविज़न
18.           Communicator जर्नल किस संस्थान से निकलता है- IIMC से
·       विज्ञान
1.    'भारतीय विज्ञान संस्थानकहाँ स्थित है? - बैंगलोर में
2.    सामान्य ट्यूबलाइट में कौन सी गैस होती है? - आर्गन के साथ मरकरी वेपर
3.    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पल्स (दाल) रिसर्च  कहाँ स्थित है ? –कानपुर
4.    'केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केन्द्रकहाँ स्थित है? -देहरादून
5.    एक प्रकाशवर्ष कितना होता है- प्रकाश वर्ष=9.46×1015 मीटर अथवा 95 खराब किलोमीटर लगभग
6.    मायोपिया रोग में किस लेंस का प्रयोग किया जाता है- अवतल लेंस ( concave)
7.    किस पर्यावरणविद को ‘जल पुरुष’ के नाम से जाना जाता है- राजेंद्र सिंह
8.    आज कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उत्सर्जन में सर्वाधिक योगदान करने वाला देश है? -संयुक्त राज्य अमरीका
9.    दाब का मात्रक क्या होता है? -पास्कल
10.           'भारतीय विज्ञान संस्थानकहाँ स्थित है? - बैंगलोर में
11.           समुद्र की गहराई नापने के लिए कौन-सा उपकरण प्रयोग किया जाता है? –फ़ेदोमीटर
12.           एक अश्व-शक्ति में कितने वाट होते हैं? -746 वाट
13.           लेंस की क्षमता का मात्रक क्या है?- डायोप्टर
14.           चिकित्सा शास्त्र’ का जनक किसे माना जाता है? – हिप्पोक्रेट्स
15.           सूर्य में ताप उत्सर्जन के लिए चलने वाली प्रक्रिया को क्या कहते हैं- नाभिकीय संलयन
16.           ऊनी कपड़ों की शुष्क धुलाई(Dry Cleaning) में कौन सी गैस उपयोग में लायी जाती है?- बैनजीन
17.           कच्चे फलों को पकाने में कौन सी गैस उपयोग में लायी जाती है?- ऐथिलीन
18.           भारतीय वानस्पतिक सर्वेक्षण’ का मुख्यालय कहाँ स्थित है? – कोलकाता
कंप्यूटर
1.       कंप्यूटर के जनक कौन हैं- चार्ल्स वेबिज़
2.       ALU का पूरा नाम क्या है- Arithmetic Logic unit
3.       भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का नाम- परम 8000
4.       1 TB में कितने MB होते हैं- 2^20 अथवा 1024*1024=1048576
5.       CRT का पूरा नाम है – cathode ray tube
6.       वर्ल्ड कम्प्युटर लिटेरेसी डे कब मनाया जाता है – 2 दिसम्बर
7.       EEPROM का पूरा नाम है – इलेक्ट्रोनिक एरेजबल प्रोगामेबल रीड ओनली मेमोरी
8.       किस IT कंपनी का उपनाम (nick name) “THE BIG BLUE” है - IBM
9.       ASCII का पूरा नाम क्या है – अमेरीकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इन्फॉर्मेशन इंटरचेंज
10.    माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस को किस साल में लॉंच किया गया – 1989
11.    निब्बले(nibble) मे कितने बिट्स होते हैं – 4
12.    यदि एक कम्प्युटर में एक से ज्यादा प्रॉसेसर लगे हैं तो उसे क्या कहते हैं- मल्टी प्रोसेसर 
13.    इन्टरनेट के जनक- VINT CERF
14.    ब्लूटूथ के फाउंडर- Ericson
15.    BIOS का पूरा नाम- Basic input out System
16.    सेकेंड जेनरेशन कंप्यूटर में RAM के स्थान क्या प्रयोग करते थे- ट्रांजिस्टर्स
17.    कंप्यूटर का दिल यानि Heart of Computer किसे कहते है- माइक्रोप्रोसेसर
18.    कंप्यूटर चिप बनाने में कौन सा पदार्थ (Material)- यूज करते है- सिलिकॉन (सेमीकंडक्टर)
19.    EDP का पूरा नाम- electronic Data Processing
20.    फोन लाइन में डिजिटल डेटा भेजने वाली डिवाइस का नाम- Modem
21.    विश्व का पहला सुपर कंप्यूटर किस वर्ष बना-1976
22.    भारत में निर्मित प्रथम कंप्यूटर का क्या नाम है- सिद्धार्थ
23.    A4 पेपर की लंबाई और चौड़ाई कितनी होती- 8.27*11.69 इंच अथवा 210*297 ml
24.    11 डेसिमल नंबर को बाइनरी नंबर में कितना लिखेंगे-1011
25.    फॉटोशॉप मे 24 bit RGB colour मॉडल को प्रयोग करके कितने रंग बना सकते है – 256^3 अथवा 16777216 अथवा 16.7 मिलियन
   सामान्य ज्ञान/करेंट अफेयर्स
हाल ही में ‘एपेक’ शिखर सम्मेलन कहाँ पर सम्पन्न हुआ- वियतनाम (दे नांग)
1.       पलास किस प्रदेश का राजकीय पुष्प है- उत्तर प्रदेश                                         
2.       अभी हाल ही में किस देश में सैन्य विद्रोह के बाद राष्ट्रपति को त्यागपत्र देना पड़ा- जिम्बाब्वे
3.       बंधन एक्सप्रेस किन दो स्थानो के बीच चली है- कोलकाता- खुलना(बांग्लादेश के बीच9 नवंबर2017)
4.       10 वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2018 में कहाँ आयोजित किया जाएगा- जोहान्सबर्ग  
5.       कौनसी संस्था सूर्य के बाह्य वातावरण को जानने के लिए Parker Solar Probe मिशन शुरू करने वाली हैनासा (जुलाई अगस्त 2018 में)
6.       pie दिवस march 14 को मनाया जाने का क्या कारण है- pie का मान 3.14 होता है और मार्च 14 भी 3.14 होता है
7.       कांची मठ के नए शंकराचार्य-विजयेंद्र सरस्वती
8.       प्रवासी भरतीय दिवस-9 जनवरी
9.       वन्य जीव संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ-1972
10.    सिक्किम के बाद खुले में शौच से मुक्त (open defecation free) घोषित होने वाला उत्तरपूर्व का दूसरा राज्य-अरुणाचल
11.    हज़ारीबाग वन्यजीव अभ्यारण्य (wildlife sanctury) किस राज्य में है-झारखण्ड
12.    फरवरी 2018 में अन्तरराष्ट्रीय पक्षी महोत्सव कहाँ आयोजित किया गया-दुधवा राष्ट्रीय उद्यानलखीमपुरउ प्र
13.    2018 की गणतंत्र दिवस की 'सर्वश्रेष्ठ राज्य झांकीपुरस्कार किस राज्य को मिला-महाराष्ट्र
14.    इंडियन प्रीमियर लीग अनुबंध पाने वाले प्रथम नेपाली खिलाड़ी है ?-संदीप लामिछाने
15.    वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए किस रंग का आधार कार्ड जारी किया गया है-नीले रंग का 'बाल आधार'
16.    TB free India campaign का लक्ष्य कब तक भारत को TB मुक्त करना है-2025 तक
17.    महानदी जल विवाद को सुलझाने के लिए बने tribunal (अधिकरण ) के चेयरमैन हैं -AM खानविलकर
18.    भारत की प्रथम तटीय पुलिस अकादमी कहा स्थापित हो रही है-  देवभूमि द्वारकागुजरात
19.    गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ में किस नदी पर बना हैमहानदी
20.    हाल ही में किस राज्य ने पत्रकारों के लिए insurance scheme का प्रस्ताव रखा है-असम
    आविष्कार/ पुस्तक
1.       डिफ्यूजन ऑफ इनोवेशन’ पुस्तक किसने लिखा है-इवर्ट रोजर्स
2.       Many voices one world पुस्तक किसकी है-सीन मैकब्राइड
3.       द इफ़ेक्ट्स ऑफ मास कम्यूनिकेशन पुस्तक किसके द्वारा लिखी गयी-जोसेफ क्लैपर
4.       EFL University का पूरा नाम- The English and Foreign Language University 
5.       हिन्दी पत्रकारिता की प्रथम पीएचडी The rise and growth of Hindi journalism किस विश्वविद्यालय से की गयी- इलाहाबाद विश्वविद्यालय
6.       ग्लोबल विलेज’ पुस्तक के लेखक कौन हैं- मार्शल मैकलुहान
7.       The Romance of Research किस लेखक की पुस्तक है- रेडमैन एंड मोरी 
8.       मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय कौन थे?— आचार्य विनोबा भावे 1958
     अन्य
1.        भारत का सबसे लंबा सड़क पुल किस शहर में बना है- पटना
2.        किसी अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैच की सामान्य समयावधि कितनी होती है- 60 मिनट
3.        नेहरू(चेपक) स्टेडियम स्थित है- चेन्नई में
4.        उबेर कप’ किस खेल से संबंधित है- बैडमिंटन
5.        पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल क्या है- हॉकी                            
6.        2018 का शीतकालीन ओलंपिक कहाँ आयोजित हुआ- दक्षिण कोरिया
7.        2018 में फुटबाल विश्वकप कहाँ आयोजित होगा- रूस में (14 जून15 जुलाई2018