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बुधवार, 17 मई 2017

मीडिया शोध : मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध



मीडिया शोध : मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध
मीडिया रिसर्च का मतलब समाचार पत्र, पत्रिका, समाचार समितियां, विज्ञापन, जनसंपर्क, रेडियों, टेलीविजन, इंटरनेट, निजी चैनल, संचार की पारंपरिक पद्धतियां आदि से संबंधित तथ्यों तथा घटनाओं के संदर्भ में ज्ञान प्राप्त करने से है। मीडिया रिसर्च तथ्यों व घटनाओं की जांच परीक्षण के लिए वैज्ञानिक पद्धतियां या प्रणालियों से की गई व्यवस्थित खोज है। जबकि सामाजिक रिसर्च का मतलब सामाजिक तथ्यों या घटनाओं से संबंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिए की गई व्यवस्थित रिसर्च है।
मात्रात्मक शोध
 मात्रात्मक शोध निगमन पद्धति पर आधारित होती है यह शोध आंकड़ों पर आधारित होता है और इसका निष्कर्ष भी आंकड़ों द्वारा ही निर्धारित होता है। आंकड़ों के आधार पर एक नए आंकड़ें को निकालना ही मात्रात्मक शोध का उद्देश्य होता है। मात्रात्मक शोध किसी प्रकार के पक्ष या भाव से रहित रहता है। यह अपेक्षाकृत घटना और परिणाम या प्रभाव के बीच संबन्धों पर केंद्रित होता है और क्रिया और प्रतिक्रिया, घटना और परिणाम या प्रयोजन और प्रभाव से जुड़ा हुआ होता है ।   
निगमनात्मक सिद्धान्त:- यह पूर्व निर्मित सिद्धान्त होता है। सामान्य सत्य से तर्क द्वारा अज्ञात सत्य को प्रामाणित किया जाता है प्रायः ज्ञात सत्यों के आधार पर अज्ञात सत्य का निगमन होता है (अरस्तू)
गुणात्मक शोध
गुणात्मक शोध का उद्देश्य मानवीय व्यवहार और ऐसे व्यवहार को शासित करने वाले कारणों को गहराई से समझना है। गुणात्मक विधि न केवल क्या, कहां, कब की छानबीन करती है, बल्कि क्यों और कैसे को भी खोजती है। इसलिए, बड़े नमूनों की बजाय अक्सर छोटे पर संकेंद्रित नमूनों की ज़रूरत होती है। गुणात्मक शोध निर्देशन से कार्य करता है। गुणात्मक शोध में आमतौर पर अभिकल्प का प्रयोग नहीं करते, यह विकल्प खुले रखते है। गुणात्मक शोध बहुत लचीला होता है तथा चयन में अधिक स्वतंत्र रहता है। इस शोध में चरों का उनकें गुणों के आधार पर विशलेषण होता है। गुणात्मक शोध, मात्रात्मकता के स्थान पर व्यक्तिगत अनुभवों के विशलेषण पर जोर देता है। गुणात्मक शोध में शोध के निष्कर्ष में भाव एवं पक्ष को स्थान दिया जाता है यह कारण का विश्लेषण और सत्यापन करता है,गुणात्मक पक्ष को नापने के लिए  मुख्य रीतियों, व्यवस्थित शृंखला संबंध प्रमापन और संकेतकों  के आधार पर वर्गीकरणकरते है। मानव व्यवहार को गणित के सूत्रों में नहीं बाँधा जा सकता। इस मत के अनुसार, प्राकृतिक विज्ञानों के विकास में इतना महत्वपूर्ण योगदान देने वाला गणित, सामाजिक अनुसंधान में आवश्यक भूमिका नहीं रखता।
सरल शब्दों में- गुणात्मक से तात्पर्य है गैर संख्यात्मक डेटा संग्रहण या ग्राफ़ या डेटा स्रोत की विशेषताओं पर आधारित स्पष्टीकरण. उदाहरण के लिए, यदि आपसे विविध रंगों में प्रदर्शित थर्मल छवि को गुणात्मक दृष्टि से समझाने के लिए कहा जाता है, तो आप ताप के संख्यात्मक मान के बजाय रंगों के भेदों की व्याख्या करने लगेंगे.)
 आगमन सिद्धान्त:- किसी वस्तु या प्रक्रिया में जो वस्तु या प्रमाण मिलते है, उनका निरीक्षण किया जाता है और इस तरह अनेक सामान वस्तुओं और प्रक्रियाओं (प्रोसेस) में परिलक्षित विशेष तत्वों के आधार पर समान्य सिद्धान्त बनाये जाते है।
मात्रात्मक डेटा संग्रहण:-
मात्रात्मक शोध में मात्रा या सांख्यकीय में सूचना होती है। यह सर्वेक्षण, स्ट्रक्चर्ड इंटरव्यु, ऑब्जरवेशन, रिकार्ड्स और रिपोर्ट्स के रिव्यु का डेटा संग्रहण होता हैं । 
गुणात्मक डेटा संग्रहण:-
गुणात्मक शोधकर्ता डेटा संग्रहण के लिए कई अलग दृष्टिकोण अपना सकते हैं, जैसे कि बुनियादी सिद्धांत अभ्यास, आख्यान, कहानी सुनाना, शास्त्रीय नृवंशविज्ञान या प्रतिच्छाया. कार्य-अनुसंधान या कार्यकर्ता-नेटवर्क सिद्धांत जैसे अन्य सुव्यवस्थित दृष्टिकोण में भी गुणात्मक विधियां शिथिल रूप से मौजूद रहती हैं। संग्रहित डेटा प्रारूप में साक्षात्कार और सामूहिक चर्चाएं, प्रेक्षण और प्रतिबिंबित फील्ड नोट्स, विभिन्न पाठ, चित्र और अन्य सामग्री शामिल कर सकते हैं।

निगमन आगमन
निगमन पद्धति सिद्धांत केन्द्रित है आगमन पद्धति वास्तु केन्द्रित है
निगमन पद्धति में सामान्य सिद्धांत से विशेष तथ्य की ओर जाकर उसके गुणों का परिक्षण किया जाता है आगमन पद्धति में विशेष वस्तुओं के गुणों के आधार पर सामान्य सिद्धांत बनाये जाते हैं 
निगमन पद्धति में कुछ अनुमान से काम लिया जाता है आगमन पद्धति में केवल  तथ्यों को आधार बनाया जाता है
निगमन पद्धति में सैद्धांतिक कथन के रूप को आधार मान कर अन्य तत्वों की सत्यता को प्रमाणित या अप्रमाणि किया जाता है आगमन पद्धति में वस्तुओं का परिक्षण कर निर्णयों पर पहुँचा  जाता है
निगमन
आगमन
निगमन पद्धति सिद्धांत केन्द्रित है 
आगमन पद्धति वास्तु केन्द्रित है
निगमन पद्धति में सामान्य सिद्धांत से विशेष तथ्य की ओर जाकर उसके गुणों का परिक्षण किया जाता है
आगमन पद्धति में विशेष वस्तुओं के गुणों के आधार पर सामान्य सिद्धांत बनाये जाते हैं 
निगमन पद्धति में कुछ अनुमान से काम लिया जाता है
आगमन पद्धति में केवल  तथ्यों को आधार बनाया जाता है
निगमन पद्धति में सैद्धांतिक कथन के रूप को आधार मान कर अन्य तत्वों की सत्यता को प्रमाणित या अप्रमाणि किया जाता है
आगमन पद्धति में वस्तुओं का परिक्षण कर निर्णयों पर पहुँचा  जाता है