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रविवार, 12 मई 2019

पत्रकारिता की अवधारणा और अर्थ


पत्रकारिता की अवधारणा और अर्थ
मानव जीवन में पत्रकारिता अपने महत्वपूर्ण स्थान आरै उच्च आदर्शों के पालन के लिए सदैव अपनी पहचान बनाती आ रही है। भारत मे पत्रकारिता का इतिहास लगभग दो सौ वर्ष का है। आज पत्रकारिताशब्द हमारे लिए को नया शब्द नहीं है। सुबह होते ही हमें अखबार की आवश्यकता होती है, फिर सारे दिन रेडियो, दूरदर्शन, इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार प्राप्त करते रहते हैं।
पत्रकारिता का अर्थ 
अपने रोजमर्रा के जीवन की स्थिति के बारे में थोड़ा गौर कीजिए। दो लोग आसपास रहते हैं और कभी बाजार में, कभी राह चलते और कभी एक-दूसरे के घर पर रोज मिलते हैं। आपस में जब वार्तालाप करते हैं उनका पहला सवाल क्या होता है? उनका पहला सवाल होता है क्या हालचाल है? या कैस े हैं? या क्या समाचार है? रोजमर्रा के ऐसे सहज प्रश्नो में को खास बात नहीं दिखा देती है लेकिन इस पर थोड़ा विचार किया जाए तो पता चलता है कि इस प्रश्न में एक इच्छा या जिज्ञासा दिखा देगी और वह है नया और ताजा समाचार जानने की। वे दोनो पिछले कुछ घंटे या कल रात से आज के बीच मे आए बदलाव या हाल की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि हम अपने मित्रों, पड़ोसियो, रिश्तेदारो और सहकर्मियो से हमेशा उनकी आसपास की घटनाओ के बारे में जानना चाहते हैं। मनुष्य का सहज प्रवृत्ति है कि वह अपने आसपास की चीजो, घटनाओ और लोगों के बारे में ताजा जानकारी रखना चाहता है। उसमे जिज्ञासा का भाव प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ मे पत्रकारिता का मूल तत्व है। जिज्ञासा नहीं रहेगी तो समाचार की जरूरत नहीं रहेगी। पत्रकारिता का विकास इसी जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास के रूप में हुआ है जो आज भी अपने मूल सिद्धांत के आधार पर काम करती आ रही है।
हिन्दी में भी पत्रकारिता का अर्थ भी लगभग यही है। पत्रसे पत्रकारऔर फिर पत्रकारितासे इसे समझा जा सकता है। वृहत हिन्दी शब्दकोश के अनुसार पत्रका अर्थ चिट्ठी, कागज, वह कागज जिस पर को बात लिखी या छपी हो, वह कागज या धातु की पट्टी जिस पर किसी व्यवहार के विषय में को प्रामाणिक लेख लिखा या खुदवाया गया हो(दानपत्र, ताम्रपत्र), किसी व्यवहार या घटना के विषय का प्रमाणरूप लेख (पट्टा, दस्तावेज), यान, वाहन, समाचार पत्र, अखबार है। पत्रकारका अर्थ समाचार पत्र का संपादक या लेखक। और पत्रकारिताका अर्थ पत्रकार का काम या पेशा, समाचार के संपादन, समाचार इकट्ठे करने आदि का विवेचन करनेवाली विद्या।
पत्रकारिता की परिभाषा 
पत्रकारिता Journalism आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, रिपोर्ट करना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के समय में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - समाचार पत्र- पत्रिकाएँ , रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि।
किसी घटना की रिपोर्ट समाचार है जो व्यक्ति, समाज एवं देश दुनिया को प्रभावित करती है। इसके साथ ही इसका उपरोक्त से सीधा संबंध होता है। इस कर्म से जुड़े मर्मज्ञ विभिन्न मनीषियो द्वारा पत्रकारिता को अलग-अलग शब्दों में परिभाषित किए हैं। पत्रकारिता के स्वरूप को समझने के लिए यहाँ कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओ का उल्लेख किया जा रहा है:-
पाश्चात्य चिन्तन 
1.      न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी : प्रकाशन, सम्पादन, लेखन एवं प्रसारणयुक्त समाचार माध्यम का व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 
2.      विल्वर श्रम : जनसंचार माध्यम दुनिया का नक्शा बदल सकता है। 
3.      सी.जी. मूलर : सामयिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमे तथ्यो की प्राप्ति उनका मूल्यांकन एवं ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है। 
4.      जेम्स मैकडोनल्ड : पत्रकारिता को मैं रणभूमि से ज्यादा बड़ी चीज समझता हूँ। यह को पेशा नहीं वरन पेशे से ऊँची को चीज है। यह एक जीवन है, जिसे मैंने अपने को स्वेच्छापूर्वक समर्पित किया। 
5.      विखेम स्टीड : मैं समझता हूँ कि पत्रकारिता कला भी है, वृत्ति भी और जनसेवा भी । जब को यह नहीं समझता कि मेरा कर्तव्य अपने पत्र के द्वारा लोगो का ज्ञान बढ़ाना, उनका मार्गदर्शन करना है, तब तक से पत्रकारिता की चाहे जितनी ट्रेनिंग दी जाए, वह पूर्ण रूपेण पत्रकार नहीं बन सकता । 
इस प्रकार न्यू वेबस्टर्स डिक्शनरी में उस माध्यम को जिसमें समाचार का प्रकाशन, संपादन एवं प्रसारण विषय से संबंधित को पत्रकारिता कहा गया है। विल्वर श्रम का कहना है कि जनसंचार माध्यम उसे कहा जा सकता है जो व्यक्ति से लेकर समूह तक और देश से लेकर विश्व तक को विचार, अर्थ, राजनीति और यहां तक कि संस्ति को भी प्रभावित करने में सक्षम है। सीजी मूलर ने तथ्य एवं उसका मूल्यांकन के प्रस्तुतीकरण और सामयिक ज्ञान से जुड़े व्यापार को पत्रकारिता के दायरे में रखते हैं। जेम्स मैकडोनल्ड के विचार अनुसार पत्रकारिता दर्शन है जिसकी क्षमता युद्ध से भी ताकवर हैं। विखेम स्टीड पत्रकारिता को कला, पेशा और जनसेवा का संगम मानते हैं।
भारतीय चिन्तन 
1.      हिन्दी शब्द सागर : पत्रकार का काम या व्यवसाय ही पत्रकारिता है । 
2.      डा. अर्जुन : ज्ञान आरै विचारो को समीक्षात्मक टिप्पणियो के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रो के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारो के कार्यों, कर्तव्यो और लक्ष्यो का विवेचन हातेा है। पत्रकारिता समय के साथ साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है। 
3.      रामकृष्ण रघुनाथ खाडिलकर : ज्ञान और विचार शब्दो तथा चित्रो के रूप में दूसरे तक पहुंचाना ही पत्रकला है । छपने वाले लेख-समाचार तैयार करना ही पत्रकारी नहीं है । आकर्षक शीर्षक देना, पृष्ठों का आकर्षक बनाव-ठनाव, जल्दी से जल्दी समाचार देने की त्वरा, देश-विदेश के प्रमुख उद्योग-धन्धो के विज्ञापन प्राप्त करने की चतुरा, सुन्दर छपा और पाठक के हाथ में सबसे जल्दी पत्र पहुंचा देने की त्वरा, ये सब पत्रकार कला के अंतर्गत रखे गए । 
4.      डा.बद्रीनाथ  : पत्रकारिता पत्र-पत्रिकाओं के लिए समाचार लेख आदि एकत्रित करने, सम्पादित करने, प्रकाशन आदेश देने का कार्य है । 
5.      डा. शंकरदयाल  : पत्रकारिता एक पेशा नहीं है बल्कि यह तो जनता की सेवा का माध्यम है । पत्रकारो को केवल घटनाओ का विवरण ही पेशा नहीं करना चाहिए, आम जनता के सामने उसका विश्लेषण भी करना चाहिए । पत्रकारों पर लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा करने और शांति एवं भाचारा बनाए रखने की भी जिम्मेदारी आती है । 
6.      इन्द्रविद्यावचस्पति : पत्रकारिता पांचवां वेद है, जिसके द्वारा हम ज्ञान-विज्ञान संबंधी बातों को जानकर अपना बंद मस्तिष्क खोलते हैं । 
हिन्दी शब्द सागर में पत्रकार के कार्य एवं उससे जुड़े व्यवसाय को पत्रकारिता कहा गया है। डा. अर्जुन  के अनुसार ज्ञान और विचार को कलात्मक ढंग से लोगो तक पहुंचाना ही पत्रकारिता है। यह समाज का मार्गदर्शन भी करता है। इससे जुड़े कार्य का तात्विक विवेचन करना ही पत्रकारिता विद्या है।