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शनिवार, 26 नवंबर 2016

वैकल्पिक मीडिया का उपकरण है सामुदायिक रेडियो

 हिंट सामुदायिक रेडियो के संस्थापक कमल सेखरी से शोधार्थी (रामशंकर विद्यार्थी) की बातचीत
शोधार्थी - सर, सामुदायिक रेडियो शुरू करने का उद्देश्य क्या रहा है ? 
कमल सेखरी – सामुदायिक रेडियो शुरू करने का उद्देश्य स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, मनोरंजन और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और इनका प्रचार कर जनसमान्य में जागरूकता लाना है। इसके जरिए स्थानीय स्वशासन, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा भी दिया जाता है। 
शोधार्थी -  आपके केंद्र से किस प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं ?
कमल सेखरी हिंट सामुदायिक रेडियो के माध्यम से,समुदाय की सेवाओं पर समस्याओं पर आधारित कार्यक्रम,हस्ताक्षर अभियान,जागो गाजियाबाद,पहल और असर,हेल्थ कैरियर डॉट काम,किसान भाइयों के लिए कार्यक्रम,फिट हैं तो हिट हैं तथा युवाओं की शिक्षा पर आधारित अनेक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं
शोधार्थी सामुदायिक रेडियो को हम वैकल्पिक मीडिया कह  सकते हैं ?
कमल सेखरीहाँ।  वैकल्पिक मीडिया के अंतर्गत इंटरनेट, ब्लॉग,सामुदायिक रेडियो तथा एक विशेष उद्देश्यों को लेकर चल रहे अनेक समचर पत्र पत्रिकाएँ आती है जो  समाज में समाज की बात को समाज तक पहुँचाने  के लिए चलाई जा रहीं हैं । वैकल्पिक मीडिया ही तो है जिसके माध्यम से समाज का एक कमजोर तथा सूचनाओं से अछूते वर्ग में सूचना की छटपटाहट व्याप्त हो गयी है । सामुदायिक रेडियो के द्वारा भी समाज में जागरूकता फैलाई जा रही है । कमजोर वर्ग में भी अब सरकारी कामों से लेकर अपने हक की लड़ाई में हस्तक्षेप का माहौल व्याप्त किया है ।
शोधार्थी- सामुदायिक रेडियो, व्यावसायिक रेडियो से किस प्रकार भिन्न हैं ?
कमल सेखरी मेरा जो हिंट सामुदायिक रेडियो है यह मुख्यतः महिलाओं में साफ सफाई से संबन्धित,महिलाओं में अपने अधिकार के प्रति सचेतता,महिलाओं में स्वास्थ्य की जागरूकता,किसानों के लिए खेतीबाड़ी से संबंधित आदि कार्यक्रमों के द्वारा जागरूक कर रहा है । इसका स्लोगन- इट्स आल अबाउट गाजियाबाद है। इसमें स्थानीयता का ज्यादा बोध होता है,जबकि अन्य व्यावसायिक रेडियो मुख्यतः लोगों के मनोरंजन तथा विज्ञापन केन्द्रित होते है। इसमें स्थानीयता का बोध कम होता है। इसके कार्यक्रम एक खास वर्ग को ध्यान में रखकर नहीं बनाए जाते हैं ।  
शोधार्थी- तो, क्या सामुदायिक रेडियो में विज्ञापन प्रसारित नहीं किए जाते हैं ?
कमल सेखरीविज्ञापन प्रसारित होते है लेकिन ये विज्ञापन  मुख्यतःग्रामीण जागरूकता पर आधारित होटेन हैं जैसे पल्स पोलियो,एडस,महामारी, पेयजल या शिक्षा संबंधित आदि विज्ञापन होते हैं ।  
शोधार्थी- आपके यहाँ क्या पंचायती राज के मुद्दों को ध्यान में रखकर कार्यक्रमों को प्रायोजित किया जाता है ?
कमल सेखरी - हर किसी को अपनी बात वैकल्पिक  मीडिया के माध्यम से कहने का हक है। चूंकि सामुदायिक रेडियो भी वैकल्पिक  मीडिया का ही एक अंग है इसलिए पंचायती राज के मुद्दे हो या जनसामान्य से जुड़े अन्य कोई मुद्दे हो सामुदायिक रेडियो का उससे निरंतर जुड़ाव रहता है ।    
शोधार्थी- सर, क्या आपके सामुदायिक रेडियो से सामाजिक तथा राजनैतिक जागरूकता से संबंधित कार्यक्रमों का प्रसारण होता है ?
कमल सेखरीराजनैतिक मुद्दों से जुड़े कार्यक्रम तो लगभग नहीं ही होते हैं, लेकिन चुनाव के समय मतदान के लिए प्रेरक कार्यक्रम,अपने मताधिकार के मूल्य के संदर्भ में जागरूक करना, राजनेताओं से अपनी समस्याओं से न्याय के हक में बातचीत के लिए प्रेरित करना, स्वयंसहायता समूहों में अपनी जरूरत के बारे बातचीत करना आदि विभिन्न प्रकार के मुद्दों पर विभिन्न कार्यक्रमों में चर्चा के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाती है ।  
शोधार्थी- क्या आपको सामुदायिक रेडियो से जागरूकता से  सकारात्मक प्रभाव जनमानस में देखने को मिल रहा है ?
कमल सेखरी -  हाँ, वर्तमान समय में सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है । इसने आम जनमानस को वैचारिक मंच प्रदान किया है। हमें पत्रों के माध्यम से,फोन के माध्यम से फीडबैक मिलता है लोग अपनी आपबीती विभिन्न कार्यक्रमों में साझा करते है और बताते है कि किस प्रकार उन्होने जागरूक होकर अनेक महत्व पूर्ण कदम उठाए हैं।
शोधार्थी- भारत में सामुदायिक रेडियो को शुरू करने के पीछे क्या कारण हैं ?
कमल सेखरी- भारत में सामुदायिक रेडियो एक तरह से युनेस्को के मिशन को ही आगे बढ़ाने की पहल थी । बतौर सामुदायिक रेडियो समाज में एक खास वंचित  तबके को ध्यान में रखकर शुरू किया गया । सामुदायिक रेडियो को शुरू करने के पीछे एक कारण यह भी है कि मुख्यधारा के मीडिया की पहुँच समाज के वंचित तबकों तक नहीं है या इस मीडिया में वंचित तबकों को कोई स्थान नहीं दिया जा रहा है। मुख्यधारा कि मीडिया में उन्हें जगह दिलाने के प्रयास कि जगह उनके लिए अलग से मीडिया माध्यम खड़ा करने पर ज़ोर देना है ।  
शोधार्थी- वैकल्पिक मीडिया की पहुँच व प्रभाव के बारे में क्या कहना चाहते हैं ?
कमल सेखरी-  सामुदायिक रेडियो जो वैकल्पिक मीडिया  के रूप में बड़ा ही सरल,सुगम और किफ़ायती माध्यम है। यह हमें जागरूक करने,प्रतिक्रियावादी बनाने का एक सशक्त माध्यम है । बिना अधिक यंत्रों और उपकरणों  से आज इसकी पहुँच साधारण व्यक्ति तक हो गयी है।    

(यह साक्षात्कार 15 जुलाई को हिंट सामुदायिक रेडियो स्टेशन गाजियाबाद में कमल सेखरी और शोधार्थी बातचीत पर आधारित है। )