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मंगलवार, 20 नवंबर 2012

वैयक्तिक अध्‍ययन:सामाजिक अध्ययन की एक विशिष्ट पद्धति



वैयक्तिक अध्‍ययन:सामाजिक अध्ययन की एक विशिष्ट पद्धति
                                                              अध्‍येता – रामशंकर, पीएच.डी.(शोधार्थी)

वैयक्तिक अध्‍ययन अथवा एकल अध्‍ययन पद्धति किसी व्‍यक्ति संस्‍था अथवा समुदाय के सर्वांगीण अध्‍ययन की एक विशेष विधि हैा वास्‍तविकता यह है कि संचार शोध अथवा सामाजिक अनुसंधान के अंतर्गत केवल सांख्यिकीय और परिमाणात्‍मक प्रविधियों से ही अध्‍ययन करना पर्याप्‍त नहीं होता है, बल्कि अनेक तथ्‍य ऐसे होते है जिन्‍हें समझने के लिए गुणात्‍मक विधि द्वारा अध्‍ययन नितांत आवश्‍यक हो जाता है। संचार शोध में वैयक्तिक अध्‍ययन तब किए जाते है। जब शोध कर्ता को किसी घटना को समझने या उसकी वयाख्‍या करने में किया जाता है।
       वैयक्तिक अध्‍ययन का केंद्र सामान्‍यत: कोई व्‍यक्ति या छोटा समूह होता है। वैयक्तिक अध्‍ययन में अध्‍ययन किए जाने वाले परिवर्तनीय तत्‍वों या घटनाओं की पहचान करने का अवसर मिलता है। वैयक्तिक अध्‍ययन में दस्‍तावेज,ऐतिहासिक कलाकृतियाँ, व्‍यवस्थित साक्षात्‍कार, सीधे प्रेक्षण और यहाँ तक कि पारम्‍परिक सर्वेक्षणों को भी शामिल किया जाता है।1
       समाज शास्‍त्र में वैयक्तिक अध्‍ययन का अनुप्रयोग सर्वप्रथम हरबर्ट स्‍पेन्‍सर ने किया था किन्‍तु व्‍यवस्थित तथा वैज्ञानिक रूप में इसका प्रयोग फ्रांस में परिवारों के आय-व्‍यय के अध्‍ययन के लिए चार्ल्‍स लीप्‍ले ने किया। हिली विलियम द्वारा बाल अपराधियों का अध्‍ययन करने के क्षेत्र मे यह पद्धति उपयोगी सिद्ध हुई।
वैयक्तिक अध्‍ययन विधि क्‍या है?
What is case study method?

वैयक्तिक अध्‍ययन का अर्थ कई बार किसी व्‍यक्ति के निजी जीवन के अध्‍ययन से लगाया जाता है, जो कि उचित नहीं है। यह किसी भी सामाजिक इकाई; चाहे वह व्‍यक्ति हो या परिवार, समिति, संस्‍था, समूह आदि का विस्‍तृत एवं गहन अध्‍ययन है। इस प्रविधि का प्रयोग मनोचिकित्‍सा, समाज कार्य तथा अनुसंधान में किसी समस्‍या या इकाई के बारे में सम्‍पूर्ण ज्ञान प्राप्‍त के लिए किया जाता है।
विद्वानों ने वैयक्तिक अध्‍ययन की परिभाषाएँ निम्‍नवत् है –
ओडम तथा जोचर के अनुसार2 – वैयक्तिक अध्‍ययन एक ऐसी प्रविधि है जिसके द्वारा प्रत्‍येक व्‍यक्तिगत कारक, चाहे वह एक संस्‍था हो, अथवा एक व्‍यक्ति या समूह के जीवन की एक घटना मात्र हो, का विश्‍लेषण उस समूह की किसी भी अन्‍य इकाई के संदर्भ में किया जाता है।
पी.वी.यंग3 – वैयक्तिक अध्‍ययन किसी एक सामाजिक इकाई, चाहे वह व्‍यक्ति हो या परिवार, संस्‍था, सांस्‍कृतिक समूह अथवा समुदाय, के जीवन के अन्‍वेषण एवं विवेचन करने की पद्धति को कहते है।
गुडे व हॉट4 – वैयक्तिक अध्‍ययन सामाजिक तथ्‍यों को संगठित करने का वह ढंग है जिससे अध्‍ययन किए जाने वाले विषय के एकात्‍मक स्‍वभाव का संरक्षण हो सके। थोड़े से भिन्‍न रूप में यह एक पद्धति है जिसमें किसी सामाजिक इकाई को एक समग्र के रूप में देखा जाता है।
बीसेन्‍ज तथा बीसेन्‍ज5 – वैयक्तिक अध्‍ययन गुणात्‍मक विश्‍लेषण का एक विशेष स्‍वरूप है जिसके अंतर्गत किसी व्‍यक्ति, परिस्थिति अथवा संस्‍था का अत्‍यधिक सावधानी पूर्वक और पूर्ण अवलोकन किया जाता है।
       उपर्युक्‍त परिभाषाओं से स्‍पष्‍ट है कि वैयक्तिक अध्‍ययन पद्धति के अंतर्गत किसी एक सामाजिक इकाई से संबंधित सभी पक्षों का व्‍यापक, सूक्ष्‍म तथा गहन अध्‍ययन किया जाता है। एफ.एच.गिडिंग्‍स के अनुसार, वैयक्तिक अध्‍ययन में अध्‍ययन की एक इकाई एक व्‍यक्ति या उसके जीवन की एक घटना, एक राष्‍ट्र या इतिहास का एक युग भी हो सकता है।

वैयक्तिक अध्‍ययन के प्रकार
(Types of case study)

  • व्‍यक्ति का वैयक्तिक अध्‍ययन।
  • समूह अथवा समुदाय का वैयक्तिक अध्‍ययन।

वैयक्तिक अध्‍ययन की कार्यप्रणाली (प्रक्रिया)‍
(Procedure of case study)
वैयक्तिक अध्‍ययन की कार्यप्रणाली हो हम निम्‍नलिखित चरणों द्वारा स्‍पष्‍ट कर सकते है –
1.       समस्‍या के पक्षों का निर्धारण (Determination of the aspects of problem)- वैयक्तिक अध्‍ययन के लिए सर्वप्रथम अध्‍ययन की इकाई अथवा समस्‍या की प्रकृति का समुचित स्‍पष्‍टीकरण करना, इकाईयों का निर्धारण करना तथा अध्‍ययन क्षेत्र से पूर्णत: अवगत होना आवश्‍यक है। इस स्‍तर पर अध्‍ययनकर्ता को समस्‍या के विभिन्‍न पक्षों से संबंधित निम्‍नांकित तथ्‍यों पर ध्‍यान देना आवश्‍यक है –
समस्‍या का चुनाव – वैयक्तिक अध्‍ययन के लिए समस्‍या का चयन नितांत जरूरी है, क्‍योंकि चुनी गयी समस्‍या के आधार पर ही कोई अध्‍ययन हो सकता है। जैसे बाल-अपराध, वैकल्पिक मीडिया, नागरिक पत्रकारिता आदि।
इकाईयो का निर्धारण – समस्‍या के चयन के उपरांत के इकाई का चयन बहुत जरूरी है। जैसे समस्‍या वैकल्पिक मीडिया है तो उसमें कौन सा माध्‍यम प्रिंट या इलेक्‍ट्रॉनिक आदि।
इकाईयों की संख्‍या का निर्धारण – वैयक्तिक अध्‍ययन के लिए यह निर्धारित करना भी आवश्‍यक होता है कि अध्‍ययन की जाने वाली इकाईयों की संख्‍या क्‍या होगी। यह संख्‍या उपलबध साधनों और समय के अनुसार निर्धारित की जानी चाहिए।
अध्‍ययन के क्षेत्र का निर्धारण – अनुसंधान कर्ता द्वारा उस क्षेत्र का निर्धारण जरूरी है जहाँ अध्‍ययन करना है।
विश्‍लेषण का क्षेत्र – समस्‍या के विभिन्‍न पक्षों की विवेचना के लिए विश्‍लेषण क्षेत्र का उल्‍लेख नितांत जरूरी है।
2.           घटनाओं का काल-क्रम – समस्‍या की विवेचना के बाद विभिन्‍न घटनाओं के घटित होने के क्रम को ज्ञात किया जाता है। यह भी ज्ञात किया जाता है कि इस दौरान क्‍या-कया परिवर्तन घटित हुए। घटनाओं के उतार चढ़ाव द्वारा भविष्‍य में होने वाले परिवर्तनों को समझा जाता है। 
3.          निर्धारक कारक या तत्‍व (Determinants) – वैयक्तिक अध्‍ययन में उन कारकों का भी अध्‍ययन किया जाता है जो किसी घटना के घटित होने के उत्‍तरदायी होते है –
प्रमुख कारक – ये वे कारक है जो किसी घटना के घटित होने के लिए मूल रूप से उत्‍तरदायी है। जैसे व्‍यक्ति को अपराधी बनाने के लिए साथियों का योगदान या गरीबी।
सहायक कारक – ये वे कारक है जो प्रमुख कारकों की सहायकता करते हैं। जैसे व्‍यक्ति को अपराधी बनाने में गरीबी के अतिरिक्‍त पुलिस का अत्‍याचार, माता-पिता का उपेक्षा पूर्ण व्‍यवहार एवं मानसिक तनाव आदि सहायक कारक है।
4.       विश्‍लेषण एवं निष्‍कर्ष यह वैयक्तिक अध्‍ययन का अंतिम चरण है जिसके अंतर्गत सभी संकलित तथ्‍यों का वर्गीकरण एवं विश्‍लेषण करके निष्‍कर्ष प्रस्‍तुत किये जाते है।
वैयक्तिक अध्‍ययन में तथ्‍य संकलन की प्रविधियाँ
(Tools & Techniques of Data Collection in Case Study)

    वैयक्तिक अध्‍ययन प्रविधि अन्‍य विधियों की भांति मात्र आंकड़े संकलन का एक उपकरण या साधन बल्कि यह एक ऐस तरीका है जिसमें इकाई का गहन अध्‍ययन किया जा सके। प्राथमिक व द्वितीयक दोनों प्रकार के आंकड़े उपलब्‍ध करने पड़ते है ताकि इकाई के व्‍यवहार को ठीक से समझा जा सके।
प्राथमिक सूचनाएँ संकलन की प्रविधियाँ – प्राथमिक सूचनाएँ संकलन करने के मुख्‍य स्रोत तथा उपकरण व प्रविधियाँ निम्‍न है –
(i)                               साक्षात्‍कार (Interview)
(ii)                             अनुसूची  (Schedule)
(iii)                            निरीक्षण (Observation)
द्वितीयक सूचनाएँ संकलन की प्रविधियाँ – द्वितीयक सूचना संकलन करने की सबसे प्रमुख प्रविधियाँ तथा उपकरण निम्‍न लिखित है –
(i)                               डायरियाँ तथा निजी पत्र
(ii)                             जीवन इतिहास

वैयक्तिक अध्‍ययन का महत्‍व
(Importance of Case Study)

  सामाजिक घटनाओं एवं समस्‍याओं के अत्‍यधिक सूक्ष्‍म और गहन अध्‍ययन में वैयक्तिक अध्‍ययन अत्‍यधिक व्‍यावहारिक एवं उपयोगी सिद्ध हुआ है। मनोचिकित्‍सक का मत है अधिकांश बीमारियाँ मन जनित होती है अत: इनका वैयक्तिक अध्‍ययन के द्वारा इलाज किया जा सकता है। कूले (C.H.Cooley) ने इस पद्धति को स्‍पष्‍ट करते हुए लिखा है कि वैयक्तिक अध्‍ययन हमारे बोध ज्ञान को विकसित करती है, और जीवन के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रदानकरती है। कूले के इस कथन के संदर्भ में वैयक्तिक अध्‍ययन पद्धति के प्रमुखगुणों द्वारा उपयोगिता को निम्‍नांकित रूप में समझा जा सकता है –
(i)                   इकाई का गहन अध्‍ययन – इसमें इकाईयों का गहन अध्‍ययन किया जा सकता है। समाज शास्‍त्री बर्गेस (Burgess) ने वैयक्तिक अध्‍ययन को सामाजिक सूक्ष्‍म दर्शक यंत्र कहा है।
(ii)                 वैध प्राक्‍कल्‍पनाओं का निर्माण – अनेक उपयोगी एव वैध उपकल्‍पनाओं के निर्माण में वैयक्तिक अध्‍ययन सहायक होती है।
(iii)                अध्‍ययन प्रपत्रों के निर्माण में सहायक – प्रत्‍येक संचार या सामाजिक अनुसंधान कर्ता को वैयक्तिक अध्‍ययन के प्रयोग से अपने अध्‍ययन प्रपत्रों में सुधार का समुचित अवसर प्राप्‍त होता है।
(iv)                वर्गीकृत प्रतिचयन में सहायक- वैयक्तिकअध्‍ययन पद्धति वर्गीकृत प्रतिचयन में अत्‍यंत सहायक पद्धति है।
(v)                 विरोधी इकाईयों का ज्ञान – सामाजिक सर्वेक्षण तथा अनुसंधान में केवल विषय से संबंधित इकाईयों का अध्‍ययन ही पर्याप्‍त नहीं होता बल्कि जो इकाईयाँ विरोधी अथवा निरर्थक प्रतीक होती है, उनके द्वारा कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को ज्ञात किया जा सकता है।
(vi)                अनुसंधन कर्ता के ज्ञान का विस्‍तार – अध्‍ययन कर्ता जब अध्‍ययन की जाने वाली इकाई के निकट संपर्क में आता है तो उसे अध्‍ययन के विभिन्‍न पक्षों का विश्‍लेषण करने की एक स्‍वयं ही अंतर्दृष्टि प्राप्‍त हो जाती है। विषय के प्रति अध्‍ययनकर्ता की यह रूचि एवं ज्ञान बहुत बड़ी सीमा तक अध्‍ययन की सफलता में सहायक होते है।
(vii)              मनोवृत्तियों के अध्‍ययन में सहायक – मनोवृत्तियों से संबंधित गुणात्‍मक विशेषताओं का अध्‍ययन करने में वैयक्तिक पद्धति सबसे उपयोगी एवं कारगर है।
(viii)             दीर्घ प्रेक्रियाओं का ज्ञान – वैयक्तिक अध्‍ययन एक ऐसी पद्धति है जिसके द्वारा अध्‍ययनकर्ता अध्‍ययन इकाई के अतीत, वर्तमान और भविष्‍य को समझकर तथा उनका समन्‍वय करके यथार्थ निष्‍कर्ष देने में सफल हो सकता है।
(ix)                प्रारंभिक अध्‍ययन में सहायक – किसी भी बड़े अनुसंधान को आरंभ करने के लिए आवश्‍यक होताहै कि प्रारंभिक स्‍तर पर प्राप्‍त कर ली जाये। ऐसा करने से समग्र के निर्धारण निदर्शन की प्राप्ति तथा उपकरणों में सहायता मिलती है।
(x)                 मनावैज्ञानिकअध्‍ययनों में सहायक – मनोवैज्ञानिक अध्‍ययनों में वैयक्तिक अध्‍ययन ज्‍यादा उपयोगी सिद्ध होता है।

वैयक्तिक अध्‍ययन की विशेषतायें
(Characteristics of Case Study)

  1. अध्‍ययन की विशेष इकाई का अध्‍ययन
  2. गुणात्‍मक अध्‍ययन।
  3. गहन अध्‍ययन।
  4. कारकों का अध्‍ययन।
  5. अनेक स्रोतों तथा प्रविधियों का प्रयोग।

अध्‍ययन की सीमायें या दोष
(Limitations or Demerits of Case Study)

·         अत्‍याधिक सीमित अध्‍ययन।
·         दोष पूर्ण प्रलेखों पर निर्भरता।
·         पक्षपात की समस्‍या।
·         प्रतिचयन (निदर्शन) का अभाव।
·         अत्‍यधिक व्‍ययपूर्ण पद्धति।
·         परीक्षण संबंधी कठिनाइयाँ।

वैयक्तिक अध्‍ययन की उपयोगिता या गुण
(Utility or Merits of Case Study)
·         गहन एवं सूक्ष्‍म अध्‍ययन।
·         इकाई से संबंधित पूर्ण ज्ञान।
·         विभिन्‍न प्रविधियों का प्रयोग।
·         प्रारंभिक अन्‍वेषणों में उपयोगी।
·         उपकल्‍पनाओं का निर्माण।
·         व्‍यक्तिगत अनुभव में वृद्धि।
·         दीर्घकालीन घटनाओं एवं प्रक्रियाओं का अध्‍ययन।
·         विकास संबंधी अध्‍ययनों में सहायक।
·         व्‍यक्तित्‍वों का अध्‍ययन।
·         वर्गीकरण एवं तुलना।

वैयक्तिक पद्धति (अध्‍ययन) तथा सांख्यिकीय पद्धति
(Case Study & Statistical Method)

वैयक्तिक अध्‍ययन पद्धति सामान्‍यत: गुणात्‍मक अध्‍ययनों तथा सांख्यिकीय पद्धतिपरिमाणात्‍मक (गणनात्‍मक) पद्धतियों में  अधिक उपयोगी है फिर भी दोनों परस्‍पर संबंधित है तथा पूरक पद्धतियाँ है। संक्षेपत: वैयक्तिक अध्‍ययन पद्धति तथा सांख्यिकीय पद्धति में निम्‍नलिखित अंतर है –
अंतर का बिन्‍दु
वैयक्तिक अध्‍ययन
सांख्यिकीय पद्धति
अध्‍ययन की प्रकृति
गुणात्‍मक/वर्णनात्‍मक
परिमाणात्‍मक/विवेचनात्‍मक
अध्‍ययन का क्षेत्र
सीमित
विस्‍तृत
इकाईयों का संख्‍या
सीमित
समग्र या विशाल समूह
इकाईयों का चयन
बिना प्रतिचयन के सीमित एवं दोषपूर्णसामान्यीकरण
सामान्‍यीकरण संभव
निश्चितताएवं परिशुद्धता
कम निश्चितता
कम परिशुद्धता
कम विश्‍वसनीयता
कम स्‍पष्‍टता
अधिक निश्चितता
अधिक परिशुद्धता
अधिक विश्‍वसनीयता
अधिक स्‍पष्‍टता

उपर्युक्‍त में अंतर बिंदु की स्‍पष्‍टत: समझ एक वसतुनिष्‍ठ शोध को प्रदर्शित करता है। वैयक्तिक अध्‍ययन पद्धति के सयुंक्‍तता से एक प्रभावगामी शोध की सत्‍यता को बढ़ा देता है।
संदर्भ स्रोत
  1. बोअर्स, जेडब्‍लू, और कोर्टराइट, जेए (1984) कम्‍यूनिकेशन रिसर्च मैथड्स ग्‍लेनव्‍यु. आईएल: स्‍काट, फोर्समैन पृष्‍ठ संख्‍या 23-25
  2. मुकर्जी, रवीन्‍द्रनाथ (2011) सामाजिक शोध व सांख्यिकी. दिल्‍ली, विवेक प्रकाशन 7 न्‍यू.ए. जवाहर नगर, पृष्‍ठ संख्‍या 249
  3. प्रो. गुपता, एम.एल और डॉ. शर्मा, डी.डी. (2006) समाजशास्‍त्र सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियां आगरा, साहित्‍य भवन पब्लिकेशन, हास्पिटल रोड, पृष्‍ठ संख्‍या 60
  4. मुकर्जी, रवीन्‍द्र नाथ (2011) सामाजिक शोध व सांख्यिकी पृष्‍ठ संख्‍या 250

4 टिप्‍पणियां:

  1. वैयक्तिक अध्‍ययन हमारे बोध ज्ञान को विकसित करती है, और जीवन के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रदानकरती है। लेकिन क्या संस्था के बारे में आध्यान करने के लिए केस स्टडी का प्रयोग करेंगे

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  2. जी हाँ, संस्था को इकाई मानते हुए आप केस स्टडी का प्रयोग कर सकते है|

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  3. इससे बोद्धिक विकास होता है

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