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रविवार, 1 फ़रवरी 2015

मन और आत्मा की स्वतंत्रता के लिए हिकी ने शुरू की थी पत्रकारिता








हिकी गज़ट पर परिचर्चा आयोजित (29 जनवरी)

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भले ही त्वरित गति से जनता के बीच संदेश पहुंचाकर अपना प्रभाव बना लेती है लेकिन प्रिंट मीडिया में आज भी पत्रकारिता के मूल गुण विद्यमान हैं। उक्त बातें बहुवचन के संपादक श्री अशोक मिश्र ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने मनोदगार व्यक्त करते हुये संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र के विभागीय पुस्तकालय एवं वाचनालय सभागार में कही। मौका था भारत के पहले मुद्रित अख़बार हिकी गज़ट के स्मरण दिवस का। आज से लगभग 235 वर्ष पहले 29 जनवरी, सन 1780 को हिकी गज़ट का प्रकाशन हुआ था। परिचर्चा का विषय था हिकी गज़ट : भारत में मुद्रित पत्रकारिता का उदय। श्री मिश्र ने कहा कि जेम्स आगस्टस हिकी ने समाज को अभिव्यक्ति के एक मंच को उपलब्ध कराने की पहल की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. डॉ. अनिल कुमार राय ने मुद्रित माध्यमों की स्वतंत्रता प्राप्ति में योगदान पर जानकारी देकर वर्तमान पत्रकारिता के बारे में कहा कि पत्रकारिता के स्वरूपों में दिन-ब-दिन परिवर्तन हो रहा है। निरंतर होते ह्रास के बावजूद आज भी कुछ लोग पत्रकारिता के माध्यम से समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का वहन कर रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे केंद्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. अख़्तर आलम ने हिकी गज़ट के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हुये कहा कि इस अख़बार में संपादक के नाम पत्र की शुरुआत से समाज की पत्रकारिता की शुरुआत हो गयी थी। हिकी ने अख़बार के माध्यम से लोगों में एक संदेश का सम्प्रेषण किया कि यह माध्यम बहुत ही प्रबल है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन केंद्र के पीएच. डी. शोधार्थी रामशंकर ने किया।  इस अवसर पर केंद्र के सभी शिक्षक एवं शोधार्थी, विकास चंद्र, अमृत कुमार, अनिल विश्वा, रंजीत कुमार, भवानीशंकर, धीरेंद्र,बलराम, रुद्रेश, उमा यादव, संतोष मिश्रा सहित एम.फिल., एम.ए. व एम.एससी.(इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) के शोधार्थी, विद्यार्थी मौजूद थे।     

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